








बीकानेर Abhayindia.com हमारे भीतर जो बुराइयां हैं उनका त्याग कर अच्छाइयों का संग्रह करें। प्राणीमात्र के प्रति क्षमाभाव हो यही क्षमापना संक्रांति महोत्सव का मूल संदेश है। उक्त प्रवचन शनिवार को कोचरों के चौक में आयोजित क्षमापना संक्रांति महोत्सव में साध्वी सौम्यदर्शना ने व्यक्त किए। साध्वी सौम्यदर्शना ने कहा कि जैन धर्म ने क्षमा व त्याग के महत्व को समझा है। क्षमा मांगने से भी बड़ा क्षमा देना महत्वपूर्ण है।
श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्री संघ के तत्वावधान में कोचर फ्रेंड्स क्लब द्वारा आयोजित क्षमापना संक्रांति महोत्सव का राजस्थान संस्कृत अकादमी अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर, नागौर सभापति नवरत्न बोथरा, राजू बैद, किशोर कोचर, जयंतीलाल कोचर द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया गया। महोत्सव में श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्री संघ के अध्यक्ष रिखबचंद सिरोहिया, खरतरगच्छ श्रीसंघ अध्यक्ष अजीतमल खजांची, जैन महासभा के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र जैन बद्धाणी का आतिथ्य रहा। विशिष्ट अतिथि डॉ. सरोज कोचर ने कहा कि जिससे मनमुटाव है उससे अवश्य क्षमा मांगे तभी क्षमापना संक्रांति को मनाने का महत्व रहेगा। विश्व शांति की मंगलकामना के साथ आयोजित क्षमापना संक्रांति महोत्सव में सुरेन्द्र कोचर, रौनक कोचर व अमित कोचर ने नवकार मंत्र तथा कोचर महिला मंडल ने गीतिका की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में हिमांशु कोठारी, मगन कोचर, विनोद सेठिया, सत्येन्द्र बैद, सम्पत डागा ने भजनों की प्रस्तुति दी तथा शुभकंवरी बांठिया ने माँ व गुरु की महिमा का बखान किया। महोत्सव के दौरान तत्वत्रयी आराधना विधि पुस्तक का विमोचन साध्वीवृंद के सान्निध्य में मनोज कोचर, सुमित कोचर व विमल कोचर द्वारा किया गया। साध्वी सौम्यप्रभा ने संक्रांति पाठ का वाचन किया तथा कमल कोचर ने संक्रांति गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र कोचर व अमित कोचर ने किया। समाज की बालिकाओं द्वारा भव्य गवली व रंगोली बनाई गई।





