Friday, April 26, 2024
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एनआरसीसी में ‘ओजोन परत के क्षरण व इसके प्रभाव’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

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बीकानेर Abhayindia.com भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्ट्र अनुसन्‍धान केन्द्र में ‘ओजोन लेयर, इट्स डिप्लीशन एण्ड इम्पेक्ट ऑन लिविंग बींगस् – OZONE LAYER, ITS DEPLETION AND IMPACT ON LIVING BEINGS’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हुआ। नेशनल एनवॉयरमेंटल साइंस अकादमी (नेसा), नई दिल्ली द्वारा एनआरसीसी सहित अन्य विभिन्न संस्थानों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रान्‍तों दृ जम्‍मू कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, नई दिल्‍ली, उत्‍तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान आदि राज्यों के प्रतिभागियों ने इस आयोजन के माध्यम से अपने अनुसंधान को प्रस्तुत किया।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. जीत सिंह सन्धु, कुलपति, कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर ने कहा कि ओजोन परत के क्षरण एवं इसके प्रभावों पर गहन वैज्ञानिक चिंतन आज के समय की मांग है। क्योंकि, अभी भी इस संबंध में पर्याप्त अनुसंधान साहित्य की कमी है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में विभिन्न पहलुओं पर मंथन तथा प्राप्त होने वाले निष्कर्षों एवं सुझावों के आधार पर ओजोन परत के क्षरण को रोकने एवं आमजन में इसके प्रति जागरूकता लाने की दिशा में यह निश्चित रूप से मददगार साबित हो सकेगा।

कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. आर्तबन्धु साहू, निदेशक, एनआरसीसी, बीकानेर ने कहा कि अल्ट्रावाईलेंट किरणें जीव जगत के लिए अत्यधिक हानिकारक है इसलिए इन्हें रोकने के लिए ओजोन परत क्षरण को प्राथमिकता पर रोका जाना चाहिए। इसके लिए हमें व्यापक सोच के साथ एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पर्यावरणीय दायित्व निर्वहन करना होगा। डॉ. साहू ने कहा कि ऊँट, ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन अन्य रूमीनेंटस् से कम करता है, यह बात सिद्ध भी हो चुकी है। इसलिए ऊँट को एक एनवॉयरमेंट फ्रेंडली पशु मानते हुए इसका पालन समग्र मानवता के हित में किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. एन.डी. यादव, अध्‍यक्ष, काजरी, बीकानेर ने कहा कि ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए एक कानूनी नीति तैयार की जानी चाहिए जिसमें वातावरण को प्रदूषित करने पर जिम्‍मेदारी तय की जाए। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. ए.के. वर्मा, सचिव, एशियन बायोलोजिकल रिसर्च फाउंडेशन (एबीआरएफ) ने कहा कि ओजोन परत के क्षरण से वैश्विक स्तर पर जो चिंता की लकीरें उभरी थीं, विगत वर्षों में सबके सकारात्मक प्रयासों से उसकी मोटाई में वृद्धि हुई है जो कि इस दिशा में और अधिक प्रयास के लिए प्रेरित कर रही है।

समापन कार्यक्रम से पूर्व आमंत्रित विषय विशेषज्ञों द्वारा पशुधन सत्र के दौरान अपने लीड पेपर प्रस्तुत किए। तत्पश्चात राउंड टेबल डिस्कशन में ओजोन परत के प्रबंधन एवं पुनःस्थापन ( रेमेडिएशन) पर गहन विचार किया गया तथा इस आधार पर एक अनुशंसा नोट तैयार किया गया। समापन कार्यक्रम में बेस्ट ऑरल प्रजेंटेशन एवं बेस्ट पोस्टर प्रजेंटेशन के विजेताओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। आयोजन सचिव डॉ.आर.के. सावल, प्रधान वैज्ञानिक, एनआरसीसी ने आयोजन संबंधी विस्तृत में जानकारी देते हुए आयोजन में पधारे सभी गणमान्य जनों, शोधकर्त्ताओं, प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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