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बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर नगर निगम में आज का दिन खूब हंगामेदार रहा। असल में, आयुक्त गोपाल राम बिरदा ने आज साधारण सभा की बैठक बुलाई। इसमें महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित सहित सत्तापक्ष के पार्षद नहीं आए। जबकि, कांग्रेस के पार्षद दो गुटों में बंटे नजर आए। एक गुट के पार्षदों ने जहां बैठक में सक्रिय भागीदारी निभाई वहीं, नेता प्रतिपक्ष चेतना चौधरी की अगुवाई वाले दूसरे गुट ने जमकर विरोध जताया। उन्होंने न केवल महापौर, बल्कि आयुक्त के खिलाफ भी नारेबाजी की। इस बीच, आयुक्त बिरदा ने दावा किया है कि बैठक संवैधानिक तरीके से बुलाई गई तथा सफल रही। इसमें 36 पार्षदों की उपस्थिति रही। बैठक में जनसमस्याओं पर चर्चा भी हुई।
मैंने नियमानुसार बुलाई बैठक : आयुक्त
नगर निगम आयुक्त बिरदा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 51/1 में प्रावधान है कि हर दो माह में नगर निगम की साधारण सभा बुलाई जाए। इसके तहत एक साल में छह बैठक होनी चाहिए लेकिन बीकानेर नगर निगम में बीते ढाई साल में केवल तीन साधारण सभा ही हुई है। बिरदा ने बताया कि साधारण सभा में एक तिहाई उपस्थिति को लेकर कहा कि सभा में 36 पार्षद उपस्थित रहे। जो कैमरे में आए हैं वे उपस्थित ही माने जाएंगे, चाहे बाद में वे भले कुछ भी करे। सभा में महापौर के गैर हाजिर रहने के सवाल पर बिरदा ने कहा कि सभा में उपस्थित पार्षदों में किसी एक को अध्यक्ष बनाकर कार्यवाही की जाती है, आज की बैठक में यही प्रक्रिया अपनाई गई है।
महापौर ने की संविधान की अवहेलना : पडिहार
नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस पार्षद जावेद पडिहार ने कहा कि आयुक्त की ओर से बुलाई गई सभा में जनसमस्याओं पर चर्चा की गई। सभा में महापौर को भी आना चाहिए था। असल में उन्होंने ही संविधान की अवहेलना की है।
नियम ताक पर रखकर बुलाई सभा : चौधरी
नेता प्रतिपक्ष चेतना चौधरी ने कहा कि आयुक्त ने नियमों को ताक में रखते हुए सभा बुलाई है। नौकरशाही लोकतंत्र पर हावी नहीं हो सकती। पार्षदों की उपस्थिति केवल फोटो और वीडियो से नहीं मानी जाती बल्कि हस्ताक्षरों से मानी जाती है।
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