








जयपुर Abhayindia.com प्रदेश में गहलोत सरकार की ओर से सोमवार रात जारी की गई राजनीतिक नियुक्तियों की दूसरी सूची के बाद पार्टी में घमासान मच गया है। कई नेताओं ने तो नियुक्तियों में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बीच, सोमवार रात 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के सदस्य बनाए गए राजेश चौधरी और बंजर भूमि चौराहा विकास बोर्ड में सदस्य बनाए गए सुशील आसोपा ने राजनीतिक नियुक्ति का पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया। खबर यह भी है कि विभिन्न बोर्ड–निगम और आयोगों में सदस्य बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं कई नेता आज अपने पदों से इस्तीफा दे सकते हैं। सदस्य बनाए नेताओं ने इसके संकेत भी दिए हैं। संगठन के कई नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार और संगठन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सड़कों पर पार्टी के लिए काम करने वाले नेताओं को छोड़कर घर बैठे नेताओं को राजदीप नियुक्तियों में एडजस्ट करने का आरोप लगाया है।
आपको बता दें कि गहलोत सरकार की ओर से जारी की गई दूसरी सूची में विधायकों के बेटे बेटियों को भी एडजस्ट किया गया है। विधायक कांति मीणा के बेटे लोकेश मीणा को युवा बोर्ड में सदस्य बनाया गया है। इसके अलावा कठूमर विधायक बाबूलाल बैरवा के बेटे अवधेश बैरवा को राजस्थान अनुसूचित जाति वित्त विकास आयोग में उपाध्यक्ष बनाया गया है।
विधायक रूपाराम मेघवाल की बेटी अंजना मेघवाल को महिला आयोग में सदस्य बनाया गया है अंजना मेघवाल पूर्व में जिला प्रमुख रह चुके हैं। इसके अलावा वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया के बेटे महेश मोरदिया को भी युवा बोर्ड में सदस्य बनाया गया है।
इस बीच, नाराजगी और बगावत की आशंका के चलते सत्ता और संगठन डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि देर रात ही सत्ता और संगठन के कई शीर्ष नेताओं ने नाराजगी जाहिर कर रहे नेताओं को फोन करके उन्हें मनाने के प्रयास किए हैं।
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