Sunday, December 1, 2024
Hometrendingबीकानेर : कवियों की नजर में पुष्करणा सावा, देखें वीडियो...

बीकानेर : कवियों की नजर में पुष्करणा सावा, देखें वीडियो…

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर abhayindia.com ‘पुष्करणा सावा फिर आया, मंगल गीत गाना है, झूठी शान-शौकत के दिखावे में कर्ज तुम बढ़ाना मत, शादी है एक पवित्र बंधन, इसे अपवित्र करना मत, मंगलमय हो सावा अपना…कवियत्री डॉ.कृष्णा आचार्य ने पुष्करणा सावे पर अपने विचारों को शब्दों में कुछ इस तरह पिरोया है।

पुष्करणा सावे पर काव्य पाठ

Preview YouTube video पुष्करणा सावे पर काव्य पाठ

पुष्करणा सावे पर हुई काव्य गोष्ठी में शहर के ख्यातिनाम कवियों ने पुष्करणा सावे की महत्ता को अपने शब्दों में बयां की। गोष्ठी में जुगल किशोर पुरोहित ने ‘बीकाणे में धूम मची है, सावो आयो रे…रचना सुनाकर सावे की रौनक का बखान किया। कवि कैलाश टाक ने ‘कुंकुम पत्री आवोड़ी है, ब्याह माई जावां कांई…अपनी राजस्थानी रचना के जरिए शादी समारोह का पूरा चित्रण अपने शब्दों कर मंत्रमुग्द कर दिया। साथ ही फिजुलखर्ची पर रोक, पर्यावरण बचाने का संदेश भी दिया।

गोष्ठी में कवि संजय आचार्य(वरुण) ने विदाई गीत पर आधारित रचना सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। आचार्य ने ‘चिड़कली उडऩे को तैयार, आज चिड़े संग उड़ जाएगी, अपने पंख पसार… गीत के माध्यम से बेटी की विदाई के बाद परिजनों के दर्द को शब्दों से बयां किया।

मितव्यता का धोतक है सावा…

साहित्यकार, कवियत्री डॉ.कृष्णा आचार्य ने पुष्करणा सावे को मितव्यता का धोतक बताया। आचार्य ने कहा कि समाज के सामूहिक विवाह समारोह की परम्परा रियासकाल से चली आ रही है। इसे अपनाकर युवा पीढ़ी फिजुलखर्ची से बच सकती है। साथ ही शहर की संस्कृति का साक्षात उदाहरण यह सावा है। लोगों को इसमें अधिकाधिक रूप से भागीदारी निभानी चाहिए। वहीं अपनी परम्परा के अनुसार युवाओं को विष्णु स्वरूप में दूल्हा बनकर जाना चाहिए।

पुष्करणा सावे में फिजूलखर्ची पर लगे रोक, स्वस्थ परंपराओं का हो निर्वाह : डा. कृष्णा आचार्य

Preview YouTube video पुष्करणा सावे में फिजूलखर्ची पर लगे रोक, स्वस्थ परंपराओं का हो निर्वाह : डा. कृष्णा आचार्य

Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular