‘जीवन बदल रहा प्रतिपल
बने नया अध्याय धरा पर
नव सृजन के पंख लगाकर
फैले नव मंगल संकल्प’
नव वर्ष आ, नव मंगल उमंग ला। ऐसा काम करें हम कि जीवन में नव प्रकाश फैलाकर इस धरा पर वसुधैव कुटुम्बकम का सपना साकार करने में अपनी पूर्ण भागीदारी निभायें। नूतन वर्ष नई उमंग, नये विचार, नई ऊर्जा, चेतना तथा प्रज्ञा रश्मियों को फैलाते हुए समस्त प्राणी जगत को फिर से क्रियाशील गतिशील बनाने का संदेश लेकर हमारे जीवन में आया है। समस्त संसार ने इसका सुस्वागत आशा, उमंग, उल्लास और विश्वास के साथ किया है।
‘आचाराल्लभते हायुरावादीप्सिता: प्रजा:
आचाराद्धनमक्ष्यमाचारो हन्त्यलक्षणम्’
अर्थात् सदाचार से मनुष्य दीर्घ आयु को पाता है, सदाचार से मनचाही प्रजा को प्राप्त होता है और सदाचार से अक्षय धन को पाता है। सदाचार सब प्रकार की अयोग्यता व कुरूपता आदि को निष्प्रभावी कर देता है। नूतन वर्ष आज की युवा पीढ़ी को विवेकपूर्वक सदाचार पूर्वक कर्म में संलग्न होने की प्रेरणा दे रहा है। क्योंकि युवा वर्ग ही कर्णधार व देश के सच्चे सूत्रधार समझे जाते हैं।
आज हम अपने आस-पास के माहौल का नित्य नया परिवर्तन अनुभव करते हैं। युवा शक्ति ऐसे कार्य कर रही है। जिन्हें सुनकर, देखकर आश्चर्य व प्रसन्नता सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, भौतिकी, चिकित्सा, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स व जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी प्रतिदिन नये उत्पाद और आविष्कारों में ऐसी सफलता प्राप्त कर रहे है कि वैश्विक पटल पर एक नई क्रांति जैसा माहौल बना हुआ है। हमारी भारतीय शक्ति की शैक्षणिक उपलब्धियों से घबराकर चार-पांच वर्ष पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने देष के युवाओं को सचेत करते हुए कहा था- ‘संभल जाइए, वरना भारत की युवा शक्ति आपसे कहीं आगे होगी।’
हमारे यहां शिक्षा, साहित्य, कला, कृषि, स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक सभी क्षेत्रों में निरंतर प्रगति व विकास की नयी धारा प्रवाहमान हो रही है।
आज हम जिस वैश्विक क्रांति में जी रहे हैं- जहां इंटरनेट, मोबाईल, संचार के साधन, विज्ञान व टेक्नोलॉजी लगभग सभी को जोड़े हुए है। हमारे समाज व देश की प्रगति व समृद्धि भी इन्हीं पर निर्भर करने लगी है। ऐसे में हमें सदाचार, संस्कार व नैतिकता व मानवीय गुणों व जीवन मूल्यों की भी महती आवश्यकता होने लगी है। इन गुणों को दैनिक आदतों में अपनाकर ही परिवार, समाज व देष की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना होगा। हमारे देश में होनहार प्रतिभाशाली बच्चे अभिभावकों व समाज व शिक्षा द्वारा भली-भांति संस्कारित न होने के कारण कई बार दुराचार के चक्रव्यूह में पड़कर लोमहर्षक कार्य कर देते हैं। जिससे उनमें उद्दण्डता व अनुशासनहीनता तो बढ़ती ही है, साथ ही परिवार व समाज में अनैतिकता का वातावरण बनने से दूषित परिणाम सामने आते हैं। इससे हमारे देश का भविष्य अंधकारमय दिर्खा देने लगता है। ऐसे में हम अपने नोजवानों को कैसे सुरक्षित रख इनका उज्जवल भविष्य समृद्ध करें। यह सवाल लगभग सभी बुद्धिजीवियों को कचोट रहा है।
अत: हम सभी इस बात का चिंतन मनन करें तथा शिक्षा, साहित्य, कला, विज्ञान के साथ बच्चों को बाल्यकाल से ही सदाचार सेवा, अनुशासन, मानवता, नैतिकता जैसे संस्कारों से जोड़ें। उन्हें सद्चरित्र बनाने का प्रयास करें। प्रकृति व पर्यावरण से जोड़कर स्वस्थ आदतों का संकल्प दिलाना होगा युवा शक्ति को अच्छाई व बुराई के परिणामों का भली-भांति आंकलन करा कर सद्गुणों को निरन्तर आत्मसात् कराने से उनका निरंतर विकास होगा। प्रगति के द्वार खुलते जायेंगे।
हम इस बात का भी चिंतन अवश्य करें कि बीते वर्ष में हमने क्या खोया, क्या पाया और क्या पाना शेष रह गया? इन सभी का आत्ममंथन जरूरी है। जो खोया वह प्राप्त नहीं होगा, जो पाया वो हम कर्म के पुण्य का प्रतीक है और जो पाना शेष है उसे नववर्ष में संकल्प बनाकर प्राप्त करना हमारा लक्ष्य होगा। अनेकों वर्ष ऐसे ही बीत जाते है। अगर हमने अपने संकल्पों, लक्ष्यों का सही निर्धारण नहीं किया तो अब भी यदि ऐसे ही कुछ समय और चला जाये तो हो सकता है कि हमें वास्तविकता में जिस सद्बक्तलता को प्राप्त करना है वह हमें प्राप्त ही न हो पाये। हम रोते के रोते ही रह जायें।
नववर्ष पर हम अपने उल्लास व उमंग से दृढ संकल्प के साथ आगे बढेंग़े। अपने देश की संस्कृति, सभ्यता एवं संस्कारों का रक्षण कर अपने जीवन को मंगलमय, शुभमय एवं उत्कृष्ट बनाकर सार्थक बनाये। यही सोच हमें अपने देश में ही नहीं, वैश्विक स्तर पर एक नई गति नया आयाम, आधार प्रदान करेगी।
‘तेरे कर्म के अवदानों की
गूंजे नई कहानी
जिधर चले कदम
बने अमिट निषानी
विश्व भर में फैला दो
नव चेतना की जवानी।’
-डॉ. कृष्णा आचार्य
उस्ता बारी के अंदर
बीकानेर (राज.)9461036201, 9461473251