अभय इंडिया डेस्क. कमजोर आर्थिक स्थिति में भी सकारात्मक नजरिया रखते हुए रिजर्व बैंक ने चतुर्थ द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा 2017-18 में नीतिगत दरों में किसी भी प्रकार के बदलाव से बचते हुए वर्तमान परिस्थितियों पर चिंता जाहिर की है। रिजर्व बैंक की समीक्षा नीति में राज्य एवं केन्द्र सरकारों को किसी भी प्रकार के आर्थिक पैकेज वित्तीय सुधार हेतु दिये जाने के विरोध में अपनी राय दर्ज करवाई हैं। मौद्रिक नीति समिति में अपनी बैठक में आर्थिक परिस्थितियों के आकलन के आधार पर रिपो दर को 6.0 प्रतिशत, रिवर्स रिपो दर 5.75 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया हैं, हालांकि पूर्व में रिजर्व बैंक द्वारा दरों में की गई कमी के बाद भी बैकों द्वारा कर्ज दरों में कमी न करने के रुख पर रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी चिंता भी व्यक्त की है, उन्होंने अपनी राय रखते हुवे कहा की वर्तमान परिस्थितयां किसी भी वित्तीय प्रोत्साहन हेतु आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा करने के अनुकूल नहीं है, क्योंकि केन्द्र एवं राज्य का संयुक्त राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा हैं।
मौद्रिक नीति की समीक्षात्मक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक वैश्विक संकेतों से हालांकि सुदृढ़ एवं आर्थिक विकास की ओर बढऩे की सकारात्मक सोच प्रस्तुत कर रहा हैं। जिसमें अमेरिका की जीडीपी वृद्धि दर, जापान की अर्थव्यवस्था में विस्तार के साथ ही विश्व व्यापार संगठन के ताजा आकलन से वैश्विक व्यापार मे 2016 की कमजोर वृद्धि के तुलना में काफी सुधार होने का संकेत मिलता हैं, परन्तु धरेलू मोर्चे पर (जीवीए) वास्तविक सकल योजित मूल्य की वृद्धि में 2017-18 की पहली तिमाही में जो कमी आई इसमें केन्द्र सकरार द्वारा अत्यधिक व्यय से सहायता मिली हैं। विनिर्माण क्षेत्र में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि आई जो पिछली 20 तिमाही में दर्ज हुई सबसे कम वृद्धि हैं।
रिजर्व बैंक के अनुसार सेवा क्षेत्र में सुधार हुआ हैं, जिससे होटल व्यवसाय, यातायात एवं संचार क्षेत्रों को राहत मिली हैं। कृषि क्षेत्र में द्वितीय तिमाही में मानसून के समय से पहले आगमन एवं जुलाई-अगस्त तक उसके कमजोर पडऩे से खरीफ की बुआई पिछले साल की तुलना में कम हुई हैं, वही मोटा अनाज, धान, तिलहन, दालों सहित प्रमुख फसलों की बुआई भी कम हुई हैं। इस तिमाही में खनन, उत्खनन और बिजली उत्पादन में सुधार से औधोगिक उत्पादन मे मामूली रूप से सुधार हुआ हैं, फिर भी विनिर्माण क्षेत्र कमजोर
रहा है।
एमपीसी ने दूसरी छ: माही में मुद्रास्फीति 4.2 से 4.6 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक ने 2017-18 की दूसरी तिमाही के सप्ताहंात में विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया जिसमें फर्मों को आशा है कि तीसरी तिमाही में कारोबारियों के रुख में पर्याप्त सुधार देखने को मिलेगा। एमपीसी का यह मानना है कि हाल के दिनों में किए गए विभिन्न प्रकार के ढांचागत सुधारों से आर्थिक संवृद्धि में मघ्यम और दीर्घकालीन तेजी आएगी क्योंकि इन से करोबारी माहौल में सुधार आएगा, पारदर्शिता बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था अधिकारिक रूप से औपचारिक बनेगी। इसके अनुसार आर्थिक गतिविधियों को नवजीवन देना अति आवश्यक हैं क्योंकि ऐसा करने से वर्तमान क्षमता का उपभोग होगा और नई क्षमता निर्माण की आवश्यकता के मद्धेनजर उद्योगों द्वारा बैंक ऋण की मांग बढ़ेगी जिनका वित्त पोषण किया जा सकेगा।
मौद्रिक नीति की समीक्षा रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने सकारात्मक रुख रखते हुए काफी विचारणीय सलाह केन्द्र सरकार को दी लेकिन फिर भी वह वर्तमान आर्थिक स्थिति से महंगाई दर के बढऩे, जीडीपी में गिरावट होने एवं बैंक दरों के परिवर्तन जैसे किसी भी बिन्दु पर अपने नजरीये को स्पष्ट करने से बचने की स्थिति में है क्योंकि जीएसटी के लागू होने से आर्थिक स्थिति पर जो प्रभाव पड़े हैं, इसको मध्य रखते हुए एमपीसी ने अपनी सलाह के रूप में रूकी पड़ी निवेश परियोजनाओं विशेष रूप से जो सरकारी क्षेत्र की हैं को नये सिरे से प्रारम्भ करने, करोबार के सहुलियत करने जिसमें जीएसटी में और अधिक सुधार करने को शामिल करते हुए सिंगल विंडो प्रणाली को ओर ज्यादा सुदृढ़ करने की ओर मजबूत कदम उठाने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकारों को मार्गदर्शित किया हैं।
– व्याख्याता,
आर्थिक एवं वि.प्र., बीकानेर
कमजोर स्थिति में सकारात्मक नजरिया, ‘रिजर्व बैंक’
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