अभय इंडिया डेस्क. पाकिस्तान सेंसर बोर्ड प्रमुख के अनुसार, फिल्म को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दिखाई गई, जिसमें कुछ चीजें प्रतिष्ठा के खिलाफ थी। पाकिस्तान ने बॉलीवुड फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया है।पाकिस्तान के सूचना, प्रसारण, राष्ट्रीय इतिहास और साहित्यिक विरासत मंत्रालय ने गुरुवार को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सेंसर (सीबीएफसी) की सिफारिश पर ‘टाइगर जिंदा है’ के लिए स्थानीय वितरक जिओ टीवी नेटवर्क को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया, जिस कारण देश में फिल्म पर प्रतिबंध लग गया।
सीबीएफसी के प्रमुख मोबाशिर हसन ने आईएएनएस को सोशल मीडिया के जरिए बताया, “मीडिया में उपलब्ध फिल्म के सारांश, समीक्षा और झलक के अनुसार, फिल्म में हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों, कानून पवर्तन एजेंसियों, व्यक्तियों और कुछ राज्य प्रतीकों को इस तरीके से दिखाया गया है जो प्रतिष्ठा के खिलाफ है। हम इससे कोई समझौता नहीं कर सकते।” सलमान खान और कैटरीना कैफ अभिनीत फिल्म ‘एक था टाइगर’ भी पाकिस्तान में रिलीज नहीं हुई थी।
मोबाशिर हसन ने कहा, “पहली फिल्म ‘एक था टाइगर’ को पर भी 2012 में प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि फिल्म ने सार्वजनिक व्यवस्था अनुरक्षण (एमपीओ) 1979 के तहत फिल्म की सेंसर-व्यवस्था की संहिता 1980 का उल्लंघन किया था।” जिओ टीवी नेटवर्क के कार्यकारी निदेशक सुलेमान एस. ललानी ने आईएएनएस को कराची से बताया कि ‘टाइगर जिंदा है’ को देश में लाने की अनुमति दी जानी चाहिए, सेंसर बोर्ड के सामने प्रदर्शित की जानी चाहिए और अगर पाकिस्तान/इस्लाम के हितों के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री मिली, तो फिल्म की प्रदर्शनी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
हसन ने बताया, “वितरकों के आग्रह की बारीकी से जांच करने के बाद अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करना सूचना मंत्रालय का कानूनी और प्रशासनिक निर्णय है।” पाकिस्तान में बड़ी संख्या में सलमान के प्रशंसक हैं, जिस कारण उनकी फिल्मों की काफी मांग रहती है। ललानी ने कहा, “पाकिस्तान सलमान खान से प्यार करता है। ‘सुल्तान’ बहुत हिट फिल्म साबित हुई थी और पाकिस्तान में बॉक्स ऑफिस पर करीब 30 लाख की कमाई की थी। उनकी ‘बजरंगी भाईजान’ को भी यहां दर्शकों ने खूब सराहा था।”
‘टाइगर जिंदा है’ के निर्देशक जफर ने आईएएनएस को इससे पहले दिए साक्षात्कार में बताया कि इस फिल्म की मानवता पर आधारित है। उन्होंन कहा, “इस फिल्म की कहानी मानवता पर आधारित है..इसमें राजनीति पहलू नहीं है। इस फिल्म के पीछे यह विचार है कि जब सही और गलत के बीच लड़ाई होती है, तब दांव पर क्या लगा होता है, मानवता।.. और मानवता से बड़ा कुछ नहीं होता।”
वर्षो से पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के प्रशंसक रहे हैं। पाकिस्तान ने 1968 में भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इससे नकली (पाइरेटेड) सामग्रियों को बढ़ावा मिला। प्रतिबंध को बाद में हटा दिया गया। इस वर्ष पाकिस्तान के सिनेमा मालिकों द्वारा एक माह लंबे स्वघोषित प्रतिबंध को हटाने के बाद फरवरी में रिलीज होने वाली ‘काबिल’ पहली बड़ी बॉलीवुड फिल्म थी।