Tuesday, April 22, 2025
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बीकानेर में कम्युनिटी स्प्रेड के खतरे को कम करने के लिए 507 को किया क्‍वारंटाइन

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बीकानेर abhayindia.com बीकानेर में संदिग्ध केस मिलने से पहले ही शहर से दूर कुछ ऐसे स्थान चयनित कर लिए थे, जहां संदिग्धों  को रखे जाने की व्यवस्था की गई है। कलक्‍टर कुमारपाल गौतम ने बताया कि क्योंकि यह बीमारी अब तक लाइलाज है, इसलिए कम्युनिटी को स्प्रेड खतरे से बचाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी थी। ऐसे में संदिग्धों के मिलने के बाद से ही क्‍वारंटाइन (Quarantine) करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

गौतम ने बताया कि अब तक करीब 507 लोगों को क्‍वारंटाइन किया गया। क्‍वारंटाइन के लिए सात स्थानों पर इन मरीजों को रखा गया। इनमें रिद्धि सिद्धि पेलेस, संपत पैलेस, विजयवर्गीय ढाणी, गणेशम रिसोट, स्वामी  केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय में तीन स्थान तथा डागा पैलेस शामिल है।

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इस बीच, बीकानेर में कोरोना वायरस पोजीटिव मरीजों के इलाज और संदिग्ध लोगों को क्‍वारंटाइन रखे जाने के दौरान  मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सोसाइटी को कम्युनिटी स्प्रेड से बचाने के लिए जिला प्रशासन ने दोहरी भूमिका निभाई है। जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने बताया कि पिछले 3 दिनों में यहां बीकानेर और चूरू के  17 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव से नेगेटिव हुई है। गौतम ने बताया कि मरीजों के इलाज के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि मरीज जल्दी ठीक हो इसके लिए उन्हें समुचित इलाज मिले, साथ ही क्वेंरटाइन किए गए संदिग्धों को किसी तरह की असुविधा ना हो और उनका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहे।

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क्या है क्‍वारंटाइन

क्‍वारंटाइन मेडिकल टर्म्स में वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति को संक्रमण फैलाने का संदिग्ध मानते हुए कुछ समय के लिए शेष लोगों से अलग-थलग रखा जाता है। गौतम बताते हैं कि सबसे जरूरी था कि उन व्यक्तियों के मन में यह ना आए कि उन्हें समाज से अलग किया जा रहा है बल्कि उन्हें इस संबंध में तैयार करना जरूरी था कि अपने ही लोगों को बचाने के लिए उन्हें कुछ समय के लिए अपनों से दूर रखा जा रहा है। जिससे उनमें अलगाव डिप्रेशन जैसी स्थितियां ना पैदा हो। उन्होंने बताया कि वायरस संक्रमण से संदिग्ध लोगों का इस दौरान पूरा सहयोग रहा है और उन्हें 28 दिन तक क्वॉरेंटाइन रखा जाने की व्यवस्था की गई।

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पहले ही कर ली थी तैयारी

गौतम ने बताया कि संदिग्धों को यहां  रखे जाने के दौरान उन्हें सभी  सुविधाएं मिले, उनकी सैंपलिंग की प्रॉपर व्यवस्था हो और क्वॉरेंटाइन में रहने के दौरान संदिग्धों को खाने-पीने की किसी तरह की दिक्कत ना हो यह सुनिश्चित किया गया। गौतम बताते हैं कि इस दौरान लोगों के मानसिक संबलन के लिए हर क्वॉरेंटाइन सेंटर पर मनोचिकित्सक की उपलब्धता सुनिश्चित की गई जिससे आवश्यकता पड़ने पर लोगों को काउंसलिंग की जा सके और लोग तनाव घबराहट चिड़चिड़ापन जैसी चीजों से मुक्त रह सके।

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संदिग्धों को उनके साथ मोबाइल रखने दिया गया साथ ही एक रूम में एक व्यक्ति रहने की व्यवस्था की गई। कमरे में टीवी जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई। इस  दौरान संदिग्धों को खाना कमरे के बाहर तक पहुंचाया जाता। कमरे की साफ-सफाई आदि की भी उचित व्यवस्था की गई।

कुछ इस वीडियो में दिखने वाले, तो कुछ ऐसे भी जिनके लिए ऐसे शब्द लिखने पड़े…..

दूरी बनी वरदान, नहीं हुआ कम्युनिटी स्प्रेड

जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने बताया कि  कोरोनावायरस शहर के बाकी हिस्सों तक ना फैले इसके लिए संक्रमित परिवार के लोगों या जो लोग उनके संपर्क में आए उन सभी को शहर से दूर अच्छी होटलों में आइसोलेट किया गया। शहर से दूर  व्यवस्थित स्थानों पर रखने के कारण आने के कारण संदिग्धों की सेम्पलिंग जल्द करने में मदद मिली वही यह दूरी शहर वासियों के लिए भी वरदान बन गई क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमित या संदिग्ध अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आ सके और शहर के अन्य इलाकों में नहीं । प्रशासन की सूझबूझ के कारण जहां लोगों का इस वायरस से बचाव संभव हुआ वही शहर भी सुरक्षित रहा। इसी का परिणाम है , रिपोर्ट्स लगातार निगेटिव आ रही है।

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