बीकानेर abhayindia.com जिनके गुण जिन्दा हैं, वो हमेशा अमर हैं। व्यक्ति मर सकता है लेकिन व्यक्तित्व नहीं मरता। सद्भाव वाले व्यक्तित्व का स्मरण सद्भावना दिवस के रूप में मनाकर सच्ची श्रद्धांजलि है। यह उद्गार जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के आचार्यश्री विजय जयानन्द सूरिश्वरजी महाराज ने स्व. रामरतन कोचर की 38वीं पुण्यतिथि पर गंगाशहर के कोचर सर्किल स्थित आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।
बीकानेर मूल के गणिवर्य जयकीर्ति म.सा. भी उपस्थित रहे। समारोह के मुख्य अतिथि ऊर्जा एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि स्व. रामरतन कोचर ने दलितों के उद्धार के लिए अनेक कार्य किये जिसके चलते उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन वे अपने दृढ़ निश्चय के चलते विचलित नहीं हुए। अकाल के समय उन्होंने राजस्थान रिलीफ सोसायटी का गठन कर किसानों व ग्रामीणों के लिए तन-मन-धन से कार्य किया। यही कारण है कि वे जनमानस में आज भी लोकप्रिय हैं और भाईजी के नाम से जाने जाते हैं।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि इतने वर्षों बाद भी लोगों के दिलों में आज भी स्व. कोचर अपनी अमिट छवि बनाए हुए हैं। स्व. कोचर द्वारा किए गए सेवा कार्य ही उनके स्मरण को अमर बनाए हुए हैं। कार्यक्रम में महापौर सुशीला कंवर ने भी स्व. कोचर को शब्दांजलि अर्पित की। इससे पूर्व पुरस्कार समिति के जानकीनारायण श्रीमाली ने स्व. कोचर की जीवनी पर प्रकाश डाला।