बीकानेर abhayindia.com शहर में चौगुनी रफ्तार से बढ रही वाहनों की तादाद और आबादी के नजदीक औद्योगिक कारखानों की फैक्ट्रियों से उठने वाले धुएं से यहां की हवा में तेजी से ‘जहर’ घुल रहा है। हवा में प्रदूषण के मामले में देशभर के प्रमुख शहरों के साथ बीकानेर भी अछूता नहीं है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार समय रहते बीकानेर में बढ रही वायु प्रदूषण के हालातों पर काबू नहीं पाया गया तो इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे।
जानकारों का मानना है कि बेतहाशा तादाद में दौड़ते वाहनों के धुएं और चारों तरफ उड़ती धूल ने हवा की ‘सेहत’ खराब कर दी है। शहर के आस पास ग्रीन लैण्ड में हरियाली का सफाया कर बसाई जा रही आवासीय कॉलोनियां भी बीकानेर के बिगड़ते प्रदूषण कर बड़ा कारण है। इसके अलावा बड़ी तादाद में दौड़ते अनफीट वाहन, डीजल चलित टैक्सियां और खारिज हो चुके वाहनों के अलावा गली-मौहल्लों में चल रहे मिठाई-नमकीन के कारखाने भी शहर की हवा खराब करने अहम भागीदारी निभा रहे है। इसके बावजूद पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी बीकानेर में पर्यावरण के बिगड़ रहे हालातों पर काबू पाने के प्रयास करने के बजाय मूकदर्शक बने हैं।
सांस लेना हो जाएगा मुश्किल : पर्यावरणविदों के अनुसार, तेजी से हवा में घुल रहे जहर से कई साल बाद सांस लेना भी मुश्किल हो जायेगा। लगातार बढते प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत को नुकसान पहुंच रहा है। जिस रफ्तार से शहर में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उससे हम जल्द ही दूसरे प्रदूषित शहरों को पछाड़ देंगे। हवा में घुलते जहर की रोकथाम के लिये खारिज मॉडल और डीजल चलित टैक्सियों पर प्रभावी रोक लगानी होगी। शहर में अनाधिकृत रूप से चल रहे मिठाई-नमकीन के कारखानों को बंद करना होगा। हरियाली को बढावा देने के लिये सजगता से प्रयास करने होंगे।