बीकानेर abhayindia.com पुलिस थानों में चाय-नाश्ते तक सिमटी बैठकें…। पब्लिक पर धौंस जमाते गाडिय़ों पर चस्पा मोटे स्टीकर…। और पुलिस के चंगुल में फंसे लोगों की सेटिंग को दौड़ते अनेक सदस्य… । अपराध पर अंकुश लगाने और अपराधियों की जड़ें काटने के लिए गठित बीकानेर जिला पुलिस के कम्युनिटी लाइजिंग ग्रुप (सीएलजी) की असल तस्वीर कुछ ऐसी ही है। पुलिस मुख्यालय मार्च में ही सीएलजी की छंटनी के आदेश दे चुका है, लेकिन उस पर अभी तक अमल नहीं हो सका है।
जानकारी में रहे कि समाज में बेहतर साख, अपराधियों की नजर में बेखौफ शख्सियत, अपराध को काबू करने में दिलचस्पी और भीड़ की समझाइश में माहिर लोगों की मदद लेने के लिए पुलिस महकमे ने सामुदायिक समन्वय समूहों (सीएलजी) का गठन किया था। मदद के नाम पर जिला पुलिस के तमाम थानों में सीएलजी सदस्यों की फौज खड़ी कर ली गई, लेकिन अपराधियों की लगाम कसना तो दूर पुलिस इनके जरिए पब्लिक का भरोसा तक नहीं जीत पाई। जिला स्तर से लेकर थानों, पंचायत और वार्डों में बिखरे सीएलजी सदस्यों की लंबी चौड़ी फौज मौजूद है, लेकिन लूट, डकैती, रेप और हत्याओं की तो बात छोडि़ए छेड़छाड़ और लोगों के आपसी झगड़ों तक में पुलिस इन लोगों की मदद नहीं ले पाई।
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