149 साल पहले यानि 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ लगा था। उस समय चंद्रमा शनि, राहु और केतु के साथ धनु राशि में था। साथ ही सूर्य और राहु एक साथ मिथुन राशि में प्रवेश कर गए थे। इस बार भी 2019 में यह चंद्र ग्रहण आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानि गुरु पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, 16 जुलाई की रात 1.31 बजे से चंद्रग्रहण आरंभ होगा, जिसका मोक्ष 17 जुलाई की सुबह 4.31 बजे होगा। इस चंद्र ग्रहण का की पूरी अवधि कुल तीन घंटे की होगी। गुरु पूर्णिमा के दिन लगने वाला यह चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, 16 व 17 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और धनु राशि में लगेगा।
सूतक-समय : चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले लग जाता है, वहीं सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले लग जाता है। इस चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 1.31 बजे से शुरू हो जाएगा, जबकि इसकी समाप्ति 17 जुलाई की सुबह 4.31 बजे होगी।
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण के समय राहु और शनि चंद्रमा के साथ धनु राशि में स्थित रहेंगे। ग्रहों की ऐसी स्थिति होने के कारण ग्रहण का प्रभाव और भी अधिक नजर आएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि राहु और शुक्र सूर्य के साथ रहेंगे। साथ ही चार विपरीत ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु के घेरे में सूर्य रहेगा। इस स्थिति में मंगल नीच का हो जाएगा। ग्रहण के समय ग्रहों की ये स्थिति तनाव बढ़ाने वाली साबित होगी। इसके साथ ही भूकंप का खतरा बढ़ेगा। इसके अलावा चक्रवाती तूफान और बाढ़ जैसे कई अन्य प्राकृतिक आपदा के भी योग बनाने वाले हैं।
क्या करें सूतक से पहले?
गुरु पूर्णिमा के दिन यह चंद्र ग्रहण लगने वाला है। गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा-पाठ का विधान है। इस गुरु की पूजा सबसे अच्छी मानी जाती है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन दोपहर 1.30 बजे से पहले ही कर लेना शुभ है। सूतक काल शुरू होने पर पूजा-पाठ करना अच्छा नहीं माना जाता।
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