Thursday, January 16, 2025
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स्व. भवानी भाई में ये थे अद्भुत गुण, इसलिए हुए इतने लोकप्रिय : डॉ. आचार्य

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शहर कांग्रेस कार्यालय में स्व. भवानी शंकर शर्मा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते अरविंद मिड्ढ़ा।
शहर कांग्रेस कार्यालय में स्व. भवानी शंकर शर्मा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते अरविंद मिड्ढ़ा।

बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि अहंकार के दौर में विनम्रता के साथ राजनीति करने वाले लोग अधिक लोकप्रिय होते हैं, स्व. भवानीशंकर शर्मा में यह अद्भुत गुण था जिसकी वजह से वे सर्वप्रिय और सर्वमान्य शख्सियत बन सके।

डॉ. आचार्य रविवार को पूर्व महापौर एवं पूर्व पत्रकार भवानीशंकर शर्मा की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित संस्मरण संगोष्ठी में अध्यक्षता कर रहे थे। जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) की जिला इकाई की ओर से उनकी स्मृति में सूचना केंद्र सभागार में आयोजित संगोष्ठी में डॉ. आचार्य ने कहा कि भवानी भाई गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेता थे जो आक्रामक राजनीतिज्ञ नहीं करते थे। उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता था लेकिन मेरा मानना है कि सहज व्यक्ति को भी सात्विक गुस्सा जरूर करना चाहिए।

अपने संस्मरण सुनाते हुए डॉ. आचार्य ने कहा- ‘मेरा झुकाव शुरू से समाजवादी विचारों की तरफ था और आपातकाल के दौर में स्व. जयप्रकाश नारायण के अखबार में लिखे मेरे लेखों से सरकार की भौंहे टेढ़ी हो गई थी और मेरी गिरफ्तारी की तैयारी की जा रही थी। उस समय भवानी भाई और शुभू पटवा ने मेरे बारे में सरकार में बनी भ्रांति को दूर कर गिरफ्तारी को टलवाया था।

विशिष्ट अतिथि नगर निगम महापौर नारायण चौपड़ा ने कहा भवानी शंकर शर्मा के साथ वैचारिक तालमेल नहीं होने के बावजूद मेरी उनके प्रति श्रद्धा रही। उनकी शहर में प्रतिमा लगाने और मार्ग के नामकरण के प्रस्ताव पर नगर निगम आगे आकर सहयोग करेगा।

संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन केवलिया ने अपने संस्मरण में बताया कि पांच दशक पूर्व मेरे बड़े भाई पीटीआई संवाददाता पुरुषोत्तम केवलिया जब बीकानेर से बाहर जाते थे तो अपने समाचार भेजने के लिए भवानी भाई को अधिकृत कर जाते थे, यह विश्वास का सबसे बड़ा उदाहरण था। उन्होंने भवानी भाई के लिए शेर सुनाया – हमारे बाद इस महफिल में अफसाने बयां होंगे, बहारें हमको ढूंढेगी, न जाने हम कहां होंगे।

उद्यमी कन्हैयालाल बोथरा ने कहा कि मैंने अपने जीवन में उनके जैसा फक्कड़ राजनीतिज्ञ नहीं देखा जो बहुत महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भी खाली जेब रहे। उन्होंने सहज स्वभाव से हजारों लोगों को अपना बनाया। वरिष्ठ सर्जन डॉ. तनवीर मालावत ने कहा भवानी भाई हर व्यक्ति के लिए भाई बने रहे, वे राजनीति में कभी भाईजी और भाईसाहब नहीं बने।

इससे पहले जार के जिलाध्यक्ष शिवचरण शर्मा ने स्वागत करते हुए कहा कि भवानी शंकर शर्मा हर पत्रकार के संकट के समय साथ खड़े रहते थे, इससे हम सबका हौसला बना रहता था। इस मौके पर जार के प्रदेश उपाध्यक्ष श्याम शर्मा ने उनके नाम से लोकसेवा पुरस्कार हर वर्ष दिए जाने की घोषणा की। इस पर उनके नाम से फाउंडेशन में कई लोगों आर्थिक सहयोग देने की हाथोहाथ सहमति दे दी।

अपने-अपने संस्मरण सुनाने वालों में जिला कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हीरालाल हर्ष, अरविंद मिढ्डा, पृथ्वीराज रत्नू, प्रो. ओम कुवेरा, एडवोकेट सुरेंद्र शर्मा, साहित्यकार कमल रंगा, कासिम बीकानेरी, आत्माराम भाटी, पूर्व पार्षद उम्मेद सिंह राजपुरोहित, कांग्रेस नेता खूमराज पंवार, प्रेमरतन जोशी, पार्षद हजारी देवड़ा, भाजपा नेता वंदे मातरम मंच के विजय कोचर, कमल किशोर पारीक, आरके शर्मा, पत्रकारों में सुरेश बोड़ा, टीआर उपाध्याय, हरफूल सैनी आदि शामिल रहे। कार्यक्रम का खूबसूरती से संचालन करते हुए ज्योति प्रकाश रंगा ने अपने और अपने परिवार से जुड़े संस्मरण सुनाए।

इस मौके पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की ओर से उनके प्रतिनिधि नंदकुमार छींपा ने भी पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार दीपचंद सांखला, पत्रकार रमेश महर्षि, दलीप भाटी, हनुमान चारण, सूचना एवं जनसंपर्क उपनिदेशक विकास हर्ष, जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनूं शरद केवलिया, पत्रकार मोहन लाल राजपुरोहित, अभिषेक शर्मा, यूआईटी के पूर्व लेखा अधिकारी किसन सेवग, युवा नेता रोहित गहलोत, अग्रवाल जिला सम्मेलन की युवा इकाई के अध्यक्ष हनुमान अग्रवाल, एडवोकेट नवाब अली, एडवोकेट राजेंद्र शिमला, राजेंद्र भार्गव, राजस्थान शाकद्वीपीय ब्राह्मण युवा मंच के मनोज शर्मा, विनोद शर्मा, आयुष शर्मा, गोपाल शर्मा आदि साक्षी रहे।

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