







बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। राजस्थान में पहली बार लोहेे के बिजली खम्बों को करंट अवरोधक बनाने के लिए बीकानेर शहर में एक और नवाचार होने जा रहा है। निजी बिजली कम्पनी बीकेईएसएल ने शहर में लोहे के खम्बों पर विशेष तरह का पेंट करने की पूरी तैयारी कर ली है। अगले साल मार्च तक करीब दो हजार लोहे के खम्बों पर पेंट करने का काम पूरा हो जाएगा।
बीकेईएसएल के सीओओ धु्रवज्योति चटर्जी ने बताया कि बरसात के समय लोहे के खम्बों में करंट आने की शिकायतों को देखते हुए बीकेईएसएल की तकनीकी टीम ने कई महीनों की कोशिश के बाद एक विशेष रसायन वाले पेंट इन्सुलक्ेट एसके-03 की खोज कर इसे बीकानरे शहर में उपयोग करने का फैसला किया। इस पेंट के लगने के बाद लोहे के खम्बों में करंट आने से जानवरों की मरने की दुर्घनाओं पर रोक लग सकेगी।
शहर में करीब पांच हजार लोहे के खम्बे हैं। कम्पनी ने जन सुरक्षा के लिए प्रथम चरण में एलटी लाइन से जुड़े करीब दो हजार खम्बों पर छह फीट की ऊंचाई तक पेंट करने की तैयारी की है। पिछले दिनों इन्हीं खम्बों पर करंट आने की सबसे अधिक शिकायतें मिली थी। इस साल अक्टूबर के अन्त में काम शुरू कर अगले साल मार्च तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। एक खम्बे पर पेंट करने का खर्चा करीब 900 रुपए आ रहा है। दूसरे चरण में अगले साल शहर के शेष लोहे के खम्बों पर यह विशेष पेंट किया जाएगा।
गिन्नानी मे किया जीवंत प्रदर्शन
बीकेईएसएल की ओर से गिन्नानी क्षेत्र में विशेष पेंट करने के बाद शनिवार को खम्बे में बिजली प्रवाहित
कर करंट नहीं आने का जीवन्त प्रदर्शन किया गया। कम्पनी के कर्मचारी ने तारों से बिजली लेकर पहले खम्बे के बिना पेंट किए हिस्से पर जांचा तो बल्व जल गया, जब पेंट किए हिस्से पर जांच की गई तो बल्व नहीं जला। इसके बाद बिना पेंट व पेंट वाले हिस्से पर बिजली वाले तारों से स्पार्किंग की गई। इसमें पेंट वाला हिस्सा करंट से पूरी तरह से सुरक्षित पाया गया। पानी डालकर भी जाचं की गई, लेकिन विशेष पेंट किया हिस्सा हर जांच में खरा निकला।
ऐसे किया जाएगा पेंट
पहले ब्रुश से खम्बे को रगड़ कर साफ किया जाता है, इससे खम्बे पर लगी जंग अन्य गन्दगी हट जाए। खम्बे की बाहरी परत चिकनी होने के बाद क्लीनर से एक बार फिर खम्बे को साफ किया जाता है। करीब 15 मिनट बाद थिनर की दो परत की जाती है। फिर 15 मिनट के बाद इन्सुलेक्ट एसके-03 नामक पेंट की पहली परत लगाई जाती है, करीब आधा घंटे बाद दूसरी परत करने के बाद पेंट मोटाई की जांच की जाती है जो कम से कम 100 माइक्रोन होनी चाहिए। एक घंटे में पेंट सूख जाता है। करीब सात दिन में रासायनिक क्रिया के बाद पेंट किए खम्बे 5 हजार बोल्ट तक के करंट को सहने लायक हो जाते हैं।



