








जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने तहसील मेड़ता जिला नागौर निवासी सुशील कुमार की रिट याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए विकास अधिकारी द्वारा ग्राम विकास अधिकारी को राजस्थान सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील नियम 1958 के नियम 16 के तहत दिये गये आरोप पत्रों (चार्जशीट) पर रोक लगा दी है।
मामले के अनुसार, मेड़ता निवासी सुशील कुमार वर्तमान में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर ग्राम पंचायत डाबरियानी कला, तहसील मेड़ता, जिला नागौर में कार्यरत है। उसको विकास अधिकारी पंचायत समिति मेड़ता द्वारा दिनांक 03.03.2025 को दो आरोप पत्र इस बाबत दिये गये की उसके द्वारा अपने कर्त्तव्यों के प्रति लापरवाही बरती गई है। इसलिए उसे राजस्थान सिविल सेवा अपील वर्गीकरण, नियत्रंण नियम 1958 के नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी किया जाता हैं।
विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक रिट याचिका प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता का यह तर्क था कि प्रार्थी ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत है तथा इस पद पर उसकी नियुक्ति जिला परिषद् मेड़ता द्वारा की गयी है ना कि विकास अधिकारी द्वारा अतः इसके नियुक्ति अथवा समक्ष अधिकारी जिला परिषद मेड़ता है ना कि विकास अधिकारी मेड़ता, इसके बावजूद इसे नियम 16 के तहत विकास अधिकारी द्वारा आरोप पत्र जारी कर दिया गया जो नियम विरूद्ध है। क्योंकि नियमानुसार नियम 16 के तहत आरोप पत्र नियुक्ति अधिकारी ही प्रदान कर सकता है न की उससे निम्न अधिकारी। वर्तमान प्रकरण में विकास अधिकारी द्वारा नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी किये गये है जो नियुक्ति अधिकारी से निम्न अधिकारी द्वारा जारी किये गए है।
प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने प्रार्थी को विकास अधिकारी द्वारा राजस्थान सिविल सेवा अपील, वर्गीकरण व नियत्रंण नियम 1958 के नियम 16 के तहत 03.03.2025 को दी गई दोनों आरोप पत्रों पर रोक लगाते हुए विभाग से जबाब तलब किया है।





