Thursday, November 14, 2024
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डाॅ. मदन सैनी चुन्नीलाल सोमानी राजस्थानी कथा पुरस्कार से समादृत

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श्रीडूंगरगढ़ Abhayindia.com राजस्थानी के ख्यातिनाम कथाकार डॉ. मदन सैनी को गुरुवार को यहां राष्ट्र‌ भाषा हिन्दी प्रचार समिति के प्रांगण में चुन्नीलाल सोमानी राजस्थानी कथा पुरस्कार से समादृत किया गया। पुरस्कार में उन्हें शॉल- श्रीफल के साथ इकत्तीस हजार रुपये की राशि समर्पित की गई।

इस अवसर पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के निवर्तमान अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार श्याम महर्षि ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारत में बहुत तेजी से भाषाओं का अवसान होता जा रहा है। गहरी चिंता का विषय है कि राजस्थानी भी अवसान के इसी पथ पर है।

उन्होंने कहा दूसरे प्रांतों के लोग अपनी भाषाओं के प्रति बेहद सजग, सचेत हैं, वहीं, राजस्थान का व्यक्ति अपनी धरोहर के प्रति बेहद गाफिल है। इस अवसर पर महर्षि ने कहा कि हमें नाज है कि कथाकार डाॅ. मदन सैनी हमारे छोटे से कस्बे हैं लेकिन उनकी कहानियां और उनका अनुवाद कई भारतीय भाषाओं में बड़े लेवल पर हुआ है। इनकी कहानियां राष्ट्रीय स्तर पर सराही जाती रही हैं। उन्होंने कहा डाॅ. मदन सैनी को इस लिये भी बधाई कि वे निरन्तर रूप से कहानियों का सृजन कर मातृभाषा राजस्थानी का भंडार भर रहे हैं।

स्वागताध्यक्ष उद्योगपति लक्ष्मीनारायण सोमानी ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति से जुड़ी विरासत को बचाना है तो राजस्थानी भाषा को जीवित रखना ही होगा। हरेक राजस्थानी परिवार इस विषम भाषाई परिस्थिति के दौरान, अपनी भूमिका को समझने का यत्न करें।

विशिष्ट अतिथि साहित्य अकादेमी नई दिल्ली से पुरस्कृत राजस्थानी एवं हिन्दी के प्रख्यात कवि कथाकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि कहानी के मूल्यांकन में हम अनेक भूलें कर जाते हैं, कहानी कभी बायोग्राफीकल नहीं होतीं, पर हम उसमें लेखक की जीवनी ढूंढ़ते रहते हैं। वे यहां मदन सैनी की कहानियों का विवेचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कहानी विश्वसनीय होती है तो यह लेखक का कमाल है कि वह कल्पना को सच जैसा बनाने की ताकत रखता है। इस हुनर में कथाकार मदन सैनी को महारत हासिल है।

राजस्थानी कवि-आलोचक डॉ. गजादान चारण ने कहा कि छोटा-छोटा प्रयास कर हम अपनी भाषा को लुप्त होने से बचा सकते हैं। हमारे राजस्थानी समाज को अब भाषा के मुद्दे पर तटस्थ नहीं रहना चाहिए। भाषा के लिए हर आदमी को खड़ा तो होना होगा।

समारोह में कथाकार सत्यदीप ने पुरस्कृत कृति “आस- औलाद” पर टिप्पणी प्रस्तुत की। पर्यावरणविद् ताराचंद इंदौरिया ने कहा कि वे भाषा के कार्यों को करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। युवा लेखक संघ- बीकानेर के कमल रंगा ने कहा कि राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए एक बड़े आंदोलन की आवश्यकता है।

डॉ. मदन सैनी ने अपनी रचना प्रकिया पर विचार प्रगट किए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डाॅ चेतन स्वामी ने राजस्थानी भाषा की प्रगति और विकास के लिए कुछ सूत्र प्रस्तुत किए। पुष्पादेवी सैनी ने अपनी राजस्थानी गीतों की पुस्तक लक्ष्मी नारायण सोमानी को भेंट की। समारोह में बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थिति रहे।

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