बीकानेर Abhayindia.com साहित्य अकादेमी, दिल्ली, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर से सम्बद्ध-मान्यता प्राप्त एवं माध्यमिक शिक्षा से शोध संस्थान के रूप में अधिस्वीकृत श्रीडूंगरगढ़ की 1961 में स्थापित ख्यात संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति और उदयपुर के प्रख्यात विश्वविद्यालय जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के मध्य गतिविधियों के संचालन के लिए आगामी 5 वर्षो लिए एमओयू पर उदयपुर में हस्ताक्षर किये गये। विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार डाॅ. तरुण श्रीमाली और समिति की ओर से अध्यक्ष श्याम महर्षि एवं मंत्री रवि पुरोहित ने 8 मई को कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत की उपस्थिति में समझौता निष्पादित किया।
इन क्षेत्रों में करेंगे संयुक्त कार्य...
- श्रीडूंगरगढ़ की संस्था जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के सहयोगी संस्थान के रूप में अधिस्वीकृत हुई।
- विश्वविद्यालय और समिति से जुड़े छात्रों, संकाय सदस्यों, शोधार्थियों व अन्य व्यक्तियों के मध्य राजस्थानी व हिन्दी भाषा, साहित्य, इतिहास, पुस्तकालय विज्ञान, पर्यावरण और संस्कृति के अध्ययन, अनुसंधान और प्रसार को मिलेगा बढावा।
- संयुक्त रूप से होगा शोध ग्रंथों का प्रकाशन।
- भाषा, साहित्य और संस्कृति की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए कार्यशालाओं, सेमिनारों, सम्मेलनों, प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होगा आयोजन।
- पुस्तकालयों, अभिलेखागारों, सांस्कृतिक अनुरक्षण और ज्ञान के अन्य भण्डारों के विकास, डिजिटलीकरण और रख-रखाव के लिए होंगे अनेक कार्य।
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जल्द मिलेगी शोधार्थियों को पीएचडी की सुविधा
इस समझौते के बाद पीएचडी करने वाले शोधार्थियों को राजस्थानी, हिन्दी, इतिहास, सोशियल साईंस और सामाजिक सरोकारों से जुड़े विभिन्न विषयों में शोध करने की सुविधा का मार्ग प्रशस्त होगा। संस्था का 20 हजार पुस्तकों का अपना पुस्तकालय है और आईसीएचआर के स्काॅलर सहित देश-भर के शोधार्थी यहां अपने शोध कार्य के लिए आते रहे हैं। इस समझौते से संसाधनों की कमी से रुके शोध, सर्वेक्षण, प्रकाशन और आयोजनोें को गति मिलेगी।
यूजीसी केयर लिस्ट में भी है संस्था की शोध पत्रिका
समिति की सिस्टर्न कंसर्न मरुभूमि शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित द्विभाषी पत्रिका ‘जूनी ख्यात’ यूजीसी की केयर लिस्ट में पूर्व से शामिल है। राजस्थानी की सबसे पुरानी पत्रिका राजस्थली भी पिछले 47 वर्षो से अनवरत प्रकाशित हो रही है। संस्था द्वारा 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी है। इस एमओयू के बाद विश्वद्यिालय और समिति की बौद्धिक सम्पदा एक दूसरे से साझी की जाएगी।
ये रहे एमओयू के साक्षी
कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, साहित्यकार किशन दाधीच, डाॅ. चन्द्रेश छतलानी, परीक्षा नियंत्रक डाॅ. पारस जैन, पूर्व रजिस्ट्रार डाॅ. हेमशंकर दाधीच, भगवतीलाल सोनी, जयकिशन चैबे, निजी सचिव केके कुमावत, डाॅ. ललित सालवी, डाॅ. यज्ञ आमेटा, विकास डांगी सहित अनेक अकादमिक सदस्य एमओयू आदान-प्रदान के साक्षी रहे।