Monday, November 25, 2024
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संविदा पर लगे शिक्षक को हटाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, विभाग को नोटिस

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जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश अरूण मोगा ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गिन्नाणी पंवारसर, बीकानेर में संविदा के आधार अध्यापक ग्रेड तृतीय लेवल द्वितीय पर कार्यरत रमजान अली की रिट याचिका को अंतरिम रूप से स्वीकार करते हुए प्रधानाचार्य के द्वारा पारित सेवा पृथक्करण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।

मामले के अनुसार, बीकानेर निवासी रमजान अली की सेवानिवृत्ति 28.02.2022 को अध्यापक ग्रेड तृतीय लेवल द्वितीय (सामाजिक विज्ञान) के पद से हुई थी। सेवानिवृत्ति 01.05.2023 के आदेश से जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा (मुख्यालय), बीकानेर द्वारा उसे संविदा के आधार पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गिन्नाणी पंवारसर में तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर पुनः नियुक्ति दी गई। याचिकाकर्ता के पुनः नियुक्ति आदेश में यह स्पष्‍ट रूप अंकित था कि ‘‘यह पुनः नियुक्ति आगामी एक वर्ष या नियमित अध्यापकों की नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो’’ तक के लिये की जाती है।

पुनः नियुक्ति आदेश दिनांक 01.05.2023 के अनुसरण में प्रार्थी ने दिनांक 02.05.2023 को कार्यग्रहण कर लिया। उसके कार्यग्रहण करने के 8 माह बाद ही प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गिन्नाणी पंवारसर ने उसकी सेवाओं को आदेश 13.01. 2024 को यह कहते हुए समाप्त कर दिया की स्वायत प्रशासन विभाग ने भी संविदा के रूप में ली जा रही सेवानिवृति अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवायें समाप्त कर दी है। इसलिए प्रार्थी को विद्यालय आने की आवश्‍यकता नहीं है। आगे का वेतन देय भी नहीं है।

प्रधानाचार्य द्वारा जारी सेवा पृथक्करण आदेश 13.01.2024 से व्यथित होकर प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय के समक्ष प्रार्थी के अधिवक्ता का यह तर्क था कि प्रथमतयाः प्रार्थी के सेवा पृथक्करण करने के लिये प्रधानाचार्य सक्षम अधिकारी नहीं है। क्योंकि प्रार्थी की पुनः नियुक्ति संविदा के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा, बीकानेर ने की है। व उस आदेश में स्पष्‍ट अंकित था कि यह नियुक्ति एक वर्ष या नियमित अध्यापक मिलने तक के लिये की गई है। वर्तमान में प्रार्थी की नियुक्ति को ना तो एक वर्ष हुआ व ना ही नियमित अध्यापकों की नियुक्ति हुई।

दूसरा तर्क यह भी था कि प्रधानाचार्य द्वारा सेवा पृथक्करण आदेश में यह अंकित करना कि स्वायत शासन विभाग द्वारा सभी संविदा कार्मिकों की सेवायें समाप्त कर दी है अतः प्रार्थी की सेवायें भी समाप्त की जाती है वो सर्वथा विधि विरूद्ध व अनुचित है। क्योंकि प्रार्थी स्वायत शासन विभाग का कर्मचारी ना होकर माध्यमिक शिक्षा विभाग का कर्मचारी है।

प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए उच्च न्यायालय ने याचिका कर्ता रमजान अली के प्रधानाचार्य द्वारा जारी सेवा पृथक्करण आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत रिट याचिका को अंतरिम रूप से ग्राहय करते हुए सेवा पृथक्करण आदेश 13.01.2024 पर अंतरिम रोक लगाई एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया।

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