चातुर्मास 29 जून (गुरुवार) से आरंभ हो गया है। इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम के लिए चले जाते हैं। वे फिर देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इस अवधि को चातुर्मास भी कहा जाता है। चातुर्मास में मांगलिक कार्य नहीं होते इसलिए भक्तजन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पूजा–पाठ में समय व्यतीत करते हैं। मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान किए गए धार्मिक नियमों का पालन करने से देव जल्द ही प्रसन्न होते हैं और हमारी सभी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं। आइए, यहां हम जानते हैं कि भगवान के निद्रा के समय ऐसे कौनसे उपाय करने चाहिए जिससे देव प्रसन्न हो…(लगातार)
मान्यता है कि चातुर्मास की अवधि में भक्तों को रोज ब्रह्म मुहूर्त में नींद से जागना चाहिए और जमीन पर सोना चाहिए। सूर्य भगवान को नियमित अर्घ्य देना चाहिए इससे मान–सम्मान में बढोतरी होती है। साथ ही बल व बुद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है। इस अवधि में दान पुण्य का भी महत्व है। कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरतमंदों को चप्पल, छाता, कपड़ों का दान करना श्रेष्ठ माना गया है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
मान्यता यह भी है कि अपनी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए चातुर्मास में नियमित तौर पर मंत्रों का जाप करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथ भी पढने चाहिए। इसी तरह कर्ज जैसी समस्याओं से छुटकारे के लिए गौ दान किया जा सकता है। अन्न का दान भी किया जा सकता है। चातुर्मास में श्रीमद् भागवत कथा का पाठ व स्रवण भी जीवन में सुख और शांति प्रदान करता है।
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