Friday, April 26, 2024
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न चीरा न बेहोशी, अब दर्द चुटकी में दूर

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सुरेश बोड़ा/बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। यदि आप लंबे समय से कमर दर्द से पीडि़त है तो अब आप इसकी चिंता से मुक्त हो सकते है। और वो भी बड़ी आसान शल्य क्रिया से। अब न तो चीरा लगता है और न ही बेहोश करने की जरूरत पड़ती है। आधुनिक दूरबीन तकनीक के जरिये चुटकी में आप दर्द से छुटकारा पा सकते है। बीकानेर के कोठारी अस्पताल के न्यूरो स्पाइनल सर्जन डॉ. अरुण तुनगरिया ने ‘अभय इंडिया’ से विशेष बातचीत में बताया कि आज के दौर की भागम-भाग जिंदगी में कमर दर्द की समस्या लोगों में आम होती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार साठ से सत्तर प्रतिशत लोग कभी ना कभी दर्द की समस्या का सामना करते है। कुछ में यह समस्या लंबे समय तक लगातार बनी रहती है। कमर दर्द यूं तो कोई बड़ी बीमारी नहीं है लेकिन, अगर दर्द लगातार रहे तो विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। सामान्य रूप से 35 वर्ष की आयु पार लोगों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। परंतु आजकल की भागदौड़ की जीवन शैली में इससे कम उम्र में ही लोग कमर दर्द की समस्या से पीडि़त हो रहे हैं, जो बेहद ही गंभीर है।

डॉ. तुनगरिया ने कमर दर्द होने के कारणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अधिक वजन उठाना या गलत आसन में वजन उठाना इसका एक अहम कारण है। अक्सर युवा व्यायाम करते जिम में भारी वजन उठाने के प्रयास मेें कमर दर्द का शिकार हो जाते है। वजन उठाने से हमारे रीढ की हड्डी के बीच डिस्क में दरार आ जाती है। आम भाषा में इसे ‘स्लिप डिस्क’ भी कहते है। ज्यादातर मामलों में कुछ दिन आराम से दर्द में राहत मिल सकती है, लेकिन अगर डिस्क ज्यादा सरक जाए तो पैरों की नसों पर दबाव पड़ता है जिसके गंभीर परिणाम स्वरूप पैर में लकवा पडऩा या सूनापन जैसी गंभीर परेशानी खड़ी हो सकती है। ऐसे में चिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

डॉ. तुनगरिया के अनुसार प्रशिक्षित डॉक्टर की ओर से दी गई फिजियोथैरेपी भी मरीजों के लिए लाभदायक होती है। कमर के व्यायाम की सलाह, कमर दर्द पूर तरह समाप्त होने के बाद ही दी जाती है। एक अन्य भ्रांति जो हमारे देश में काफी प्रचलित है वह है मरीज को सख्त सतह पर सोने की सलाह देना, जो कि सही नहीं है। कमर दर्द के मरीज को समतल सतह पर सामान्य गद्दा (जो ज्यादा नरम या सख्त ना हो) लगाकर सोना चाहिए। ज्यादा परेशानी हो या कमर दर्द पैरों से आने लगे (साइटिका) तो सर्जरी से आराम मिल सकता है। आधुनिक तकनीक एवं सूक्ष्म चीरे से अब डिस्क की सर्जरी उपलब्ध है। आजकल रीढ की हड्डी के ऑपरेशन सूक्ष्मतम चीरे से बिना मरीज को बेहोश किए दूरबीन से किए जा सकते है।

ऐसे कर सकते हैं बचाव

डॉ. तुनगरिया के अनुसार न्यूरोसर्जरी से संबंधित रोगों से बचने के लिए हमें जरूरी उपाय करने चाहिए। मसलन, डिस्क या कमर दर्द से बचने के लिए भारी वजन गलत तरीके से नहीं उठाना चाहिए। व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिए। विशेषज्ञ सलाह के बाद अपना वजन ना बढऩे दें। ब्रेन हेमरेज या लकवा से बचाव के लिए भी मोटापा कम करें, शुगर और बीपी की नियमित जांच करवाएं। गर्दन दर्द (सर्वाइकल) से बचने के लिए गर्दन सीधी रखें, गर्दन को झटका ना दें, मोटा सिरहना ना लगाएं। सिर व कंधे पर वजन ना लटकाएं। सिर की चोट से बचने के लिए हेलमेट का उपयोग करें, सीट बेल्ट लगाए।

अब दूर जाने की नहीं दरकार

स्लीप डिस्क के ऑपरेशन के लिए अब बीकानेर से दूरदराज बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं है। यहां कोठारी अस्पताल में न्यूरो स्पाइनल सर्जन डॉ. अरुण तुनगरिया की टीम आधुनिक माइक्रो स्कोप से अब सूक्ष्म चीरे से ब्रेन और स्पाईन सर्जरी कर रही हैं। पिछले एक साल से इस टीम ने अब तक ऐसी कई सफल सर्जरी कर दी है। सर्जरी के बाद मरीज को दर्द से छुटकारा मिलता है, बल्कि वह अपना नियमित कार्य भी जल्दी से और आराम से कर लेता है। बाहरी शहरों में जहां सर्जरी की अनुमानित लागत अस्सी हजार रुपए से ज्यादा आती है, वहीं यहां पर आधी लागत में ही यह सर्जरी आसानी से हो जाती है।

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