




हम अक्सर हम अक्सर ही लोगों से सुनते है कि पश्चिम दिशा की ओर मुख वाला घर वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं होता है, लेकिन वास्तविकता कुछ और है। वास्तु के अनुसार, पश्चिम मुखी घर शुभ है या अशुभ, यह घर के डिज़ाइन और उसमें बने वास्तु के मुताबिक तय होता है।
वास्तु के मुताबिक, पश्चिम मुखी घर का मुख्य द्वार उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में मुख्य द्वार बनाना शुभ माना जाता है। पश्चिम दिशा के बिल्कुल मध्य में मुख्य द्वार बनाना चाहिए। मुख्य द्वार को चार पदों में से किसी एक में रखना चाहिए। ध्यान रहे दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार नहीं बनाना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम मुखी संपत्ति में घर का मुख्य द्वार आदर्श रूप से उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। अनुभव में आया है कि दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार रखने से उस घर में नकारात्मकता रहती है और कई बार इतनी नकारात्मकता होती है कि पीढ़ी दर पीढ़ी तकलीफ होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम मुखी घर में मुखिया का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। मुखिया या कमाने वाले को दक्षिण दिशा में सिर करके ही सोने की कोशिश करनी चाहिए। इस दिशा में होना सबसे शुभ माना जाता है, जो स्थिरता और रिश्तों को मजबूत बनाता है। प्रायः यह देखा गया है कि पश्चिम मुखी घर में रसोई उचित स्थान पर नहीं होती है जिससे कि जीवन में काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ता है। पश्चिम मुखी घर में किचन दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, या पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है। किचन में बर्तन धोने वाला सिंक हमेशा उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। किचन में अनाज रखने के लिए पश्चिम या दक्षिण दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है।
किचन के ठीक सामने शौचालय नहीं होना चाहिए। शौचालय के ऊपर या नीचे भी किचन का होना ठीक नहीं माना जाता। कई बार यह भी देखा गया है कि पश्चिम मुखी घरों में यदि जल तथा रसोई उचित स्थान पर नहीं बने हुए हो तो वहाँ के सदस्यों को प्रोस्टेट या मूत्र सम्बंधित अन्य विकार होने की आशंका रहती है। कुछ मामलों में अनुभव में आया है ऐसे मकान जिसमें निर्माण कार्य उत्तर-पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व में ही केवल भारी निर्माण हुआ हो तो वहाँ वंश वृद्धि की समस्या रहती है। यदि संतान हो भी तो उसके नशाखोर होने की आशंका रहती है।
पश्चिम मुखी मकान में पर्याप्त धूप लाने के साथ-साथ कड़ी धूप से बचने के लिए, उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में खिड़कियां रखना सबसे अच्छा है और अधिकतम खिड़कियां पूर्व दिशा में होनी चाहिए। कई बार लोग अधिक जगह उपयोग में आये इस चक्कर में घर के आगे की ओर पड़ने वाले फुटपाथ पर भी निर्माण करवा लेते हैं जो कि वास्तु के अनुसार सर्वथा अनुचित है। इससे मुखिया को धन की हानि होती है और उसका स्वभाव उग्र होता है।
वास्तु के अनुसार, पश्चिम मुखी मकान में शौचालय की सबसे उपयुक्त दिशा उत्तर या उत्तर-पश्चिम होती है। पश्चिम मुखी घर में सीढ़ियां पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की तरफ़ होनी चाहिए। सीढ़ियों की दिशा घड़ी की सुई की दिशा में होनी चाहिए। अब सवाल उठता है कि वास्तु दोष कैसे मिटाएं। सर्वप्रथम योग्य वास्तुविद से सलाह लें। पश्चिम दिशा में अशोक का पेड़ लगाएं व पश्चिम दिशा में दरवाजों व खिड़कियों पर लाइट ग्रे या धातु के रंग के परदों का प्रयोग सही माना गया है। घर में आने के बाद जूते-चप्पल दाईं ओर रखने चाहिए। –सुमित व्यास, एम. ए. (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431
वास्तु से बना मुख्य द्वार बन सकता है समृद्धि का प्रवेश द्वार





