हनुमान पूजा, भारत के कुछ भागों में, मुख्यतः गुजरात में, दीवाली पूजा से एक दिन पूर्व की जाती है। हनुमान पूजा तथा काली चौदस एक ही दिन आते हैं। यह माना जाता है कि काली चौदस की रात में प्रेत आत्मायें सर्वाधिक शक्तिशाली होती हैं। अतः सभी प्रकार की बुरी आत्माओं से सुरक्षा के लिये तथा शक्ति एवं बल की प्राप्ति के लिये हनुमान जी की पूजा की जाती है।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज रावण को परास्त कर, अपने चौदह वर्षीय वनवास को पूर्ण करने के पश्चात् भगवान राम के पुनः अयोध्या आगमन की प्रसन्नता में दीवाली उत्सव मनाया जाता है। हनुमान जी की भक्ति व समर्पण से प्रसन्न हो कर, भगवान श्री राम ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि उनसे पहले हनुमान जी का पूजन किया जायेगा। इसीलिये लोग दीवाली के एक दिन पूर्व भगवान हनुमान की पूजा करते हैं।
इसी दिन अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मन्दिर में श्री हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। हालाँकि, उत्तर भारत में अधिकांश भक्त चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव मनाते हैं। -भैरव रतन बोहरा, ज्योतिषाचार्य, बीकानेर