Tuesday, November 18, 2025
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बीकानेर में कांग्रेस जिलाध्‍यक्ष की नियुक्ति से पहले बुलंद हो रहे असंतोष के स्‍वर, वरिष्‍ठ नेता का आया बड़ा बयान…

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बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर में कांग्रेस जिलाध्‍यक्ष पद पर नियुक्ति की कवायद चल रही है। इस बीच, पार्टी नेताओं में असंतोष के स्‍वर भी बुलंद होने लगे है। वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता गुलाम मुस्‍तफा (बाबू भाई) का एक बड़ा सियासी बयान सामने आया है। उन्‍होंने कहा कि 36 कौम की भागीदारी का दंभ भरने वाली कांग्रेस पार्टी की बागडोर बीकानेर में दो-तीन कौमों में सिमट कर रह गई है। हैरान करने वाली बात यह है कि इन्हीं समाजों के वोटर्स भाजपा प्रत्याशियों को जिताने वाले हैं। उन्‍होंने दावा करते हुए कहा कि गत विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी प्रत्याशियों के कुल मतों में से अगर मुस्लिम मतदाताओं के मतों को किनारे रखकर देखें तो ज़िले की तीन चार सीटों पर तो पार्टी प्रत्याशियों की जमानत बचना मुश्किल हो जाता।

उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में कांग्रेस पार्टी द्वारा जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए अभियान चलाया जा रहा है। पर्यवेक्षक राजेश लिलोठिया बीकानेर में डेरा डाले हुए हैं। मेरा ऐसा मानना है की कांग्रेस पार्टी को धरातल पर मजबूती दिलानी है तो इन वर्गों के अलावा जो बड़े छोटे वर्ग पार्टी की सत्ता और संगठन की भागीदारी से वंचित रहने और स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हुए कांग्रेस दूर होते दिखाई दे रहे हैं उन्हें भागीदारी एवं मान सम्मान दिए जाना पार्टी के लिए मजबूती देने का काम करेगी।

मुस्‍तफा ने कहा कि मेरा मानना है कि बीकानेर देहात कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में विश्नोई समाज, राजपूत समाज एवं बीकानेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए एससी वर्ग में कांग्रेस के कोर वोटर्स माने जाने वाले बाल्मिकी समाज, नायक समाज या फिर सामान्य वर्ग से जैन समाज के पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अवसर देने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। कार्यकारिणी के गठन में जनसंख्या में कम हर कौम को प्रतिनिधित्व देना होगा।

मुस्‍तफा ने जिलाध्‍यक्ष के लिए दावेदारी जताने वाले मुस्लिम कार्यकर्ताओं को लेकर कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि वर्तमान में भाजपा और आरएसएस द्वारा जिस तरह से मुसलमानों को टारगेट करते हुए साम्प्रदायिक तनाव पैदा कर धुर्वीकरण की राजनीति की जा रही है ऐसे दौर से बाहर निकलने तक उनका सैक्रिफाइस करना ही पार्टी और समाज के हित में रहेगा। भविष्य में सत्ता की भागीदारी, प्रत्याशी बनने का दावा भी मजबूत होगा। और हमेशा की तरह अगली बार भी विधान सभा चुनाव में आपको इग्नोर किया जाता है तो फिर विकल्प के रास्ते खुले रखिए मगर अभी खुद को एवं समाज को कोलू के बैल बनने की आवश्यकता नहीं।

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