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बीकानेर Abhayindia.com भक्तिकाल के रामभक्त गोस्वामी तुलसीदास सच्चे युग कवि व लोकनाथ कवि है। जिन्होंने दूरदर्शिता साथ न केवल समकालीन सरोकारों को अपने साहित्य में समन्वित किया बल्कि, समाज, मानव संस्कृति सहित “धार्मिक समन्वय” का मार्ग प्रशस्त किया। उक्त उद्गार बिनानी कन्या कॉलेज में तुलसी जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित परिचर्चा के दौरान कॉलेज प्राचार्या डॉ. चित्रा पंचारिया ने व्यक्त किए।
कॉलेज के वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. घनश्याम व्यास ने छात्राओं को कवि तुलसी को सच्चा जननायक बताते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने सामाजिक समरसता को साहित्यक सृजन का केन्द्र बनाया। वे भारतीय सांस्कृतिक चेतना के सच्चे संवाहक थे।
साहित्यिक परिचर्चा के इस क्रम में छात्राओं ने लोकनायक कवि गोस्वामी तुलसीदास के व्यक्तित्व-कृतित्व, साहित्य कर्म, सामाजिक प्रदेय सहित उनकी दार्षनिकता व उनकी सामयिक प्रासंगिकता विषयक विचार व्यक्त किए। इनमें छात्रा श्रुति रंगा, योगिता शेखावत, आरती ओझा, शिवानी किराडू सहित अनेक छात्राओं ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में छात्राओं ने तुलसी के संकल्पों को आत्मसात करते हुए मानस की चौपाइयां का सस्वर वाचन के साथ-साथ उनके सामाजिक आदर्शों को जीवन में ढालने व लोगों को उनकी समन्वय दृष्टि की समझ का प्रसार करने का संकल्प किया।
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