सूर्य आत्मा और चंद्र मन का कारक है। सो आमजन को अज्ञात भय की आहट हमेशा बनी रहेगी। तीन ग्रहणों की उपस्थिति होने से तीन प्रकार की क्षति होगी। शरीर मे वात ,पित्त ,कफ के असंतुलन से कई संक्रमण रोगों से पीड़ा होगी।
विधायिका, कार्यपालिका तथा न्याय पालिका के बीच मतभेदों के कारण प्रशासनिक क्षमता में कमी आने से किये गए निर्यण आम जनता को राहत पहुचाने बाधक होंगे। पृथ्वी का संचालन तीन महाशक्तियों सत्व, रज और तम गुण में परस्पर विरोधभास के कारण पृथ्वी पर महा तांडव का रूप दिखाई देगा। जल, थल ओर नभ अपनी सीमाओं की मर्यादाओं को लांघने से विचित्र स्थिति पैदा होगी। पूरे विश्व मे सामाजिक ,आर्थिक और धार्मिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होगा।