जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद के कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना तथा भीतरघात से बचना होगी। आपको बता दें कि रविवार को पार्टी की ओर से लोकसभा चुनावों के लिए पैनल तय करने की लिए जिला स्तर पर बैठकें आयोजित की गई थी। इस दरम्यान कई जगह गुटबाजी और हंगामे के हालात नजर आए। खासतौर से अजमेर, नागौर और बीकानेर सहित कई जगहों पर बैठक में कार्यकर्ताओं ने तीखे लहजे में अपनी नाराजगी जताई। उनकी अहम् शिकायत कार्यकर्ताओं की राय को तरजीह नहीं देना था।
पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव से पहले भीतरघात और विरोध को रोकना उसके लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। इससे पार पाए बिना वह बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएगी। पार्टी भले ही वोट बैंक को जोड़े रखने का दावा कर रही है, लेकिन नीचे के स्तर भीतरघात और विरोध साफ नजर आ रहा है। सूत्रों का दावा है कि विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण में देरी और भीतरघात के कारण ही कांग्रेस की सीटें कम आई। अब पार्टी विधानसभा चुनावों के अनुभवों से सीख लेते हुए लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया बहुत पहले शुरू कर दी है। समय से पहले उम्मीदवारों की घोषणा का फैसला भी इसी के चलते किया गया है।
साथ ही जिलों में गुटबाजी रोकने के लिए उम्मीदवारों के नामों पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश हो रही है, इसलिए जिलों में पैनल तैयार किए गए हैं, ताकि जिले के कार्यकर्ताओं को भी यह लगे कि उम्मीदवार चयन में उनकी भी राय को तवज्जो दी गई है।