जयपुर Abhayindia.com राजस्थान की राजनीति आने वाले समय में गर्माने वाली है। असल में, प्रदेश की 4 विधानसभा सीटों पर मार्च-अप्रेल में उपचुनाव होने हैं। राजनीतिक विश्लेषक इन उपचुनावों को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देख रहे हैं। इनकी मानें तो उपचुनाव के नतीजे 2023 के विधानसभा चुनाव पर असर डालने के साथ ही गहलोत सरकार के कामकाज की तस्वीर भी पेश करेंगे।
आपको बता दें कि जिन चार सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा था। ऐसे में कांग्रेस इन तीनों सीटों पर फिर से कब्जा करना चाहेगी साथ ही भाजपा के कब्जे में रही राजसमंद सीट भी छीनने की कोशिश करेगी।
उपचुनाव में जीत निश्चित करने के लिए कांग्रेस ने सहाड़ा, सुजानगढ़ और वल्लभनगर में करीब एक माह पूर्व ही जिला प्रभारी मंत्रियों के साथ ही चुनाव पर्यवेक्षकों को तैनाती करते हुए उन्हें चुनाव तैयारियां करने का टास्क दे दिया था। ये भारी मंत्री और पर्यवेक्षक सत्ता और संगठन को लगातार जमीनी फीडबैक से अवगत कराने के साथ जनता की नब्ज टटोलने का काम भी कर रहे हैं। इसके अलावा ये संभावित दावेदारों के नामों को लेकर भी स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे हैं।
इधर, चर्चा यह भी है कि सीएम शोक गहलोत के पुत्र और आरसीए चेयरमैन वैभव गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के पुत्र हिमांशु जोशी, दिवंगत नेता मास्टर भंवर लाल मेघवाल के पुत्र मनोज और दिवंगत गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी या भाई को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। सूत्रों की मानें तो वैभव गहलोत को और हिमांशु जोशी को सहाड़ा और राजसमंद से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।