सुरेश बोड़ा/जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश में जिस गर्मजोशी के साथ तीसरी राजनीतिक ताकत की बात हो रही थी उसके ऐलान से पहले उसकी ‘पंखुडिय़ां’ बिखरने लगी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी का भारतीय जनता पार्टी में विलय हो गया है। दो निर्दलीय विधायक जल्द ही भाजपा का दामन थामने वाले है। भाजपा के नाराज चल रहे कद्दावरों नेताओं को भी राजी करके चुप कराने की कोशिशें तेज है। ऐसे में तीसरी ताकत की संभावनाएं एक बार फिर हवा-हवाई लगने लगी है। प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो यह साफ हो जाएगा कि ‘तीसरी तााकत’ अब महज निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के इर्द-गिर्द ही सिमट कर रह गई है।
राजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरोड़ी लाल मीणा के भाजपा में शामिल होने के साथ ही तीसरी ताकत की सबसे बड़ी ‘ताकत’ समझी जाने वाली पंखुड़ी उखड़ गई। तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर सीधे तौर पर असर डालने वाले डॉ. मीणा की घर वापसी ने तीसरी ताकत की मानो चूलें ही हिलाकर रख दी है। डॉक्टर साब की घर वापसी के बाद अब भाजपा के रणनीतिकारों ने नाराज चल रहे विधायक घनश्याम तिवाड़ी को राजी करने की तमाम कोशिशें तेज कर दी है। इस काम में आरएसएस लॉबी पूरी तरह सक्रिय हो गई है। निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह भींडर और मानिकचंद सुराणा भी अब तीसरी ताकत का हिस्सा बनने को तैयार नजर नहीं आ रहे।
गौरतलब है कि एक पखवाड़ा पूर्व तक निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, रणधीर सिंह भींडर और मानिक चंद सुराणा मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में तीसरी राजनीतिक शक्ति खड़ी करने की तैयारियों में जोर-शोर से जुटे हुए थे। डॉ. मीणा और बेनीवाल ने तो प्रदेश में एक मंच पर खड़े होकर पांच बड़ी-बड़ी रैलियां भी कर डाली थी। तीसरी ताकत का ऐलान करने की बात दोनों ही नेताओं ने छाती ठोककर की। इसी बात पर उनकी रैलियों में अपेक्षा ज्यादा भीड़ भी जुट रही थी। अब बदले हुए समीकरणों के देखते हुए आने वाले समय में अकेले बेनीवाल के बूते इतनी भीड़ जुटने की संभावनाएं भी गौण नजर आने लगी है। हालांकि अब भी बेनीवाल के सुर बदले नहीं है। वे खुलेतौर पर तीसरी ताकत की संभावना को नकार नहीं पा रहे। राजनीति के जानकारों की मानें तो बेनीवाल भी आने वाले दिनों में किसी तगड़े ऑफर के फेर में आ सकते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपरीत राजनीतिक हालात में बेनीवाल किस तरह तीसरी ताकत खड़ी करने की कोशिश करते हैं।