Friday, May 3, 2024
Hometrendingप्रशासन में ग्रामीण जनभागीदारी को जानने का सशक्त ऐतिहासिक स्रोत है ख्यात...

प्रशासन में ग्रामीण जनभागीदारी को जानने का सशक्त ऐतिहासिक स्रोत है ख्यात व ठिकाना संग्रह : भाटी

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के अंतर्गत राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान बीकानेर, कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा ओंकार चौरिटेबल ट्रस्ट, कोलकाता के सहयोग से “सुनी-पढ़ी-लिखी श्रृंखला” के अन्तर्गत मंगलवार को प्रतिष्ठान परिसर में व्याख्यान का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजस्थान के जाने माने इतिहासकार एवं राजस्‍थानी शोध संस्‍थान जोधपुर के पूर्व निदेशक डॉं. हुकमसिंह भाटी ने “ख्यात साहित्य एवं ठिकाना संग्रह” विषयक व्‍याख्‍यान के माध्यम से राजस्थान के इतिहास के पुनर्लेखन पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि राजस्थान के केन्द्रीय इतिहास के साथ-साथ छोटे-छोटे गांवों के इतिहास, तत्कालीन समाज एवं संस्कृति से जुड़े विभिन्न आयामों पर पुनर्लेखन की आवश्यकता है।

बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर एवं जैसलमेर रियासतों की विभिन्न ख्यातों एवं ठिकाना संग्रहों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि तत्कालीन प्रशासन में ग्रामीण जनभागीदारी को जानने का सशक्त ऐतिहासिक स्रोत ख्यात व ठिकाना संग्रह है। ख्यात एवं ठिकाना स्रोत न केवल राजस्थानी भाषा को समृद्ध करते है बल्कि राजस्थान के वृहद इतिहास पर भी समुचित प्रकाश डालते है। इस व्याख्यान में भारत के विभिन्न राज्यों से ऑनलाइन प्रतिभागी भी जुड़े।

संस्थान के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी डॉ. नितिन गोयल ने बताया कि इस वार्ता का संचालन ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड में किया गया था। इस चर्चा में देश के 10 राज्यों से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया। बीकानेर से प्रो. एस. के. भनोत, कमल रंगा, कृष्ण कुमार, सहायक निदेशक, पर्यटन, महेन्द्र निम्हल, वृत निरिक्षक, डॉ. राजेन्द्र कुमार, डॉ. उमेश शर्मा, मोहम्मद फारुक, डॉ राजशेखर, सुनीता स्वामी, सुरेन्द्र राजपुरोहित, एम. डी. देथा, भास्कर वैष्णव, अमरसिंह खंगारोत़, जितेन्द्र शर्मा आदि प्रतिष्ठान में प्रत्यक्ष रुप से जुडे़।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular