Sunday, April 20, 2025
Hometrendingसफलता दरवाजा बजा कर आएगी, बना लें वास्तु अनुरूप स्टडी रूम

सफलता दरवाजा बजा कर आएगी, बना लें वास्तु अनुरूप स्टडी रूम

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

अध्ययन कक्ष बच्चों की शिक्षा और उनके मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। छोटे बच्चे ज़्यादातर समय ऊर्जा से भरे रहते हैं, इसलिए स्टडी रूम को इस तरह से डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि यह उनकी ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से बढ़ाए। सकारात्मक तरीके से ऊर्जा बढ़ाने के लिए वास्तु शास्त्र की मदद लेनी चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, अध्ययन कक्ष का सही ढंग से निर्माण और सजावट बच्चों को शिक्षा में सफलता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। घर में स्टडी रूम यानी अध्ययन कक्ष हमारी पढ़ाई का उपयुक्त स्थान होता है। ऐसे में वहां पर पढ़ने वाले बच्चे या किसी भी व्यक्ति को अधिक एकाग्रता व ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत होती हैं। वास्तु ग्रन्थों में कहा गया है- “विद्यार्थी कार्यनिरतो, ब्रह्मचारी जितेन्द्रियः। अध्ययन कक्षे तिष्ठेत्, ध्यानमग्नः सदा बुधः।।” इसका आशय है विद्यार्थी को अपने अध्ययन कक्ष में बैठकर, ध्यान में लीन होकर, अपने कार्यों में निरत रहना चाहिए। ब्रह्मचारी और जितेन्द्रिय होने से विद्यार्थी की एकाग्रता और ज्ञान में वृद्धि होती है। ऐसे में अगर आपके घर मे कोई बच्चा या विद्यार्थी है और उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा या वो पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा हैं तो इसका मुख्य कारण हो सकता है अध्ययन कक्ष या स्टडी रूम में नकारात्मक ऊर्जा का होना।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पढ़ाई में अव्वल आना व अच्छा प्रदर्शन केवल आप पर नहीं बल्कि आपके आस पास मौजूद ऊर्जा पर निर्भर करता है। यदि किन्हीं कारणों से यह ऊर्जा नकारात्मक है तो ये आपके ध्यान व एकाग्रता दोनों को प्रभावित करती है। विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्. पात्रत्वाद्धनमाप्नोति, धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥” इसका आशय है विद्या विनम्रता प्रदान करती है, विनम्रता से पात्रता आती है, पात्रता से धन प्राप्त होता है, धन से धर्म और फिर सुख मिलता है। बच्चों का अध्ययन कक्ष कहाँ होना चाहिए यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है? इसके लिए के लिए सबसे अच्छी जगह उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व है।एक विद्यार्थी को पढ़ते समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ना चाहिए और सोते समय उसका सिर दक्षिण दिशा में होना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से एकाग्रता और मानसिक क्षमता बढ़ती है। अध्ययन कक्ष का प्रवेश द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में हो सकता है। खिड़कियां पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए और उन्हें प्रतिदिन खोलना चाहिए ताकि सूर्य की रोशनी की सकारात्मक ऊर्जा स्वतंत्र रूप से अंदर आ सके।

अच्छी प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन अध्ययन कक्ष के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। दिन के समय कक्ष में भरपूर प्राकृतिक रोशनी का होना बच्चों की मानसिक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। कृत्रिम रोशनी के लिए, अध्ययन डेस्क के पास एक अच्छी गुणवत्ता वाली टेबल लाइट लगानी चाहिए जो कि आंखों को आराम दे और पढ़ाई में मदद करें।

अध्ययन कक्ष में अव्यवस्था और गंदगी से बचना चाहिए। एक साफ-सुथरा और व्यवस्थित कक्ष बच्चे के मन को शांत और केंद्रित बनाए रखता है। किताबों, नोट्स और अन्य सामग्री को उचित स्थान पर रखें और सुनिश्चित करें कि कक्ष में कोई भी अनावश्यक वस्तुएं न हों।

मेज वर्गाकार या आयताकार होनी चाहिए और किसी बीम के नीचे नहीं होनी चाहिए क्योंकि प्रायः देखा जाता है कि टेबल बीम के नीचे होती हैं ।किताबें और अलमारियाँ कमरे के दक्षिण-पश्चिम भाग में रखी जा सकती हैं। मेज के ऊपर दीवार पर या मेज से जुड़ी हुई पुस्तक शेल्फ रखने से बचें। आदर्श रूप से कमरे के अंदर कोई भी बिजली का उपकरण जैसे टीवी या म्यूजिक सिस्टम आदि न रखना सबसे अच्छा है क्योंकि विकिरणों का हानिकारक प्रभाव होता है। हालाँकि, आजकल कंप्यूटर एक ज़रूरत बन गया है तो इसे रखना एक आवश्यकता बन गई है। अध्ययन कक्ष में काले और गहरे लाल जैसे गहरे रंगों से बचें, क्योंकि वास्तु के अनुसार ये रंग अध्ययन कक्ष में निराशाजनक माहौल बनाते हैं। सफ़ेद और बेज जैसे हल्के रंगों का उपयोग करने की कोशिश करें, क्योंकि वास्तु के अनुसार ये कमरे में शांतिपूर्ण माहौल बनाते हैं जो अध्ययन करते समय एकाग्रता के स्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है।

वास्तु अपने करियर में सफलता पाने के इच्छुक कई छात्रों के लिए एक उपयोगी उपकरण साबित हुआ है। यह ध्यान रखना चाहिए कि वास्तु आपकी पढ़ाई में की गई मेहनत या प्रयासों का विकल्प नहीं हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से आपके लिए रास्ता आसान बनाकर आपको सफलता पाने में मदद कर सकता है। ब्रह्म मुहूर्त पढ़ने का समय सबसे अच्छा समय होता है। सूर्योदय से पहले यानी सुबह 4.30 बजे से सुबह 10 बजे तक पढ़ाई करना लाभदायक रहता है। रात को अधिक देर तक पढ़ना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। अध्ययन कक्ष में माता सरस्वती, गणेशजी या अपने प्रिय देवी-देवता की फोटो लगा सकते हैं। इस कमरे में सिर्फ प्रेरक फोटो लगानी चाहिए।

पढ़ाई की टेबल पर आवश्यक सामग्री ही होनी चाहिए। अनावश्यक सामग्री को तुरंत हटा देना चाहिए, वरना पढ़ाई के समय मन भटक सकता है। अध्ययन कक्ष में भोजन करने से बचना चाहिए। अगर इस कमरे में खाना-पीना करना ही हो तो ध्यान रखें खाने के बाद जूठे बर्तन तुरंत बाहर रख देना चाहिए। पढ़ते समय जूठे बर्तन अध्ययन कक्ष में रखे होंगे तो पढ़ाई में मन नहीं लगता है। विद्यार्थी का ध्यान बार-बार इन बर्तनों की ओर जाता है।

भारतीय मूल के आध्यात्मिक विज्ञान, वास्तुशास्त्र, निर्माण का एक विज्ञान है जो मानव जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन को संतुलित करता है। पांच मूल तत्व (अर्थात् अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी), आठ दिशाएं (अर्थात् उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पश्चिम), विद्युत- पृथ्वी की चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण बल, ग्रहों से निकलने वाली लौकिक ऊर्जा और साथ ही वायुमंडल और मानव जीवन पर इसके प्रभाव सभी को वास्तुशास्त्र में शामिल किया गया है। किसी योग्य वास्तुविद से परामर्श लेकर स्टडी रूम का निर्माण करवाया जाए तो बेहतर परिणाम लिए जा सकते है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

वास्तु से बना पूर्वमुखी घर ला सकता है परिवार में खुशियां व प्यार

Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular