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बीकानेर abhayindia.com कृषि विज्ञान केन्द्र बीछवाल में ‘समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन’ पर पंद्रह दिवसीय प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शनिवार को प्रारम्भ हुआ। इसमें उर्वरकों की बिक्री के लिए लाइसेंस प्राप्त के इच्छुक 30 डीलर भाग ले रहे हैं।
पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई नवीनतम तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने में उर्वरक डीलर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसान प्रतिदिन इन डीलर्स के संपर्क में रहते हैं, ऐसे में डीलर्स का दायित्व है कि किसानों की समस्याओं एवं फील्ड अनुभवों के बारे में कृषि वैज्ञानिकों को बताएं, जिससे वैज्ञानिक आधार पर इनके समाधान के प्रयास किए जा सकें। उन्होंने कहा कि उर्वरक डीलर्स अपने सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन भी करें तथा किसानों को सही सलाह दें। उन्होंने ‘शून्य बजट’आधारित खेती के बारे में बताया तथा कहा कि गोबर में करोड़ों उपयोगी जीवाणु होते हैं, जो जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। किसानों को इसके उपयोग की सलाह भी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को जमीन और पानी परीक्षण के बाद ही खाद डालने की राय दें, इससे लागत कम आएगी और आय में बढोतरी होगी।
प्रसार शिक्षा उपनिदेशक प्रो. सुभाष चंद्र ने कहा कि उर्वरक डीलर्स, किसान और कृषि विज्ञान केन्द्र के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है। डीलर्स इसे समझें। उन्होंने अनुसंधान को निरंतर चलने वाली प्रक्रिया बताया तथा कहा कि प्रत्येक प्रतिभागी, एक विद्यार्थी के रूप में प्रशिक्षण लें, नई चीजें सीखें तथा इसे कृषि एवं किसान हित में साझा करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के द्वार किसानों और खेती से जुड़े लोगों के लिए सदैव खुले हैं।
केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. दुर्गासिंह ने बताया कि कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा यह पाठ्यक्रम उर्वरकों की बिक्री के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए योग्यता पूर्ति के लिए आवश्यक कर दिया है। इस पाठ्यक्रम के तहत पंद्रह दिनों थ्योरी की 32 तथा 12 प्रायोगिक कक्षाएं होंगी। वहीं, 14 वैज्ञानिक विभिन्न विषयों के संबंध में मार्गदर्शन देंगे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. सुशील कुमार ने प्रशिक्षण की रूपरेखा की जानकारी दी। पहले दिन काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विजय सिंह राठौड़ ने आवश्यक उर्वरक तथा एसकेआरएयू के क्षेत्रीय अनुसंधान अधिकारी डॉ. पी. एस. शेखावत ने जैविक खेती पर व्याख्यान दिए।
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