श्रीडूंगरगढ़ Abhayindia.com भारत सरकार की साहित्य अकादेमी दिल्ली से राजस्थानी सहित मान्यता प्राप्त 23 भारतीय भाषाओं में से एक मात्र राजस्थानी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं मिलना न्यायसंगत नहीं है। जबकि प्रवासी राजस्थानी भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व की औद्योगिक व्यवस्था में अपना दखल रखते हैं। ऐसे में 14 करोड़ राजस्थानियों की मातृभाषा राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता का मामला राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने रखा जाना चाहिए। ये उद्गार बीकानेर के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश ओझा ने रखे।
ओझा सोमवार को श्रीडूंगरगढ़ में आयोजित चुन्नीलाल सोमानी राजस्थानी कथा पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि के रूप बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता के साथ इसे राजस्थान की प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करना जरूरी है, तभी राजस्थान की आने वाली पीढ़ी अपनी पारम्परिक एवं सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ पाएंगी।समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति के संस्थापक मंत्री श्याम महर्षि ने की। इससे पहले पुरस्कार के प्रायोजक इनलैंड ग्रुप के लक्ष्मीनारायण सोमानी ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर राजस्थानी व्यंग्यकार शंकरसिंह राजपुरोहित को चुन्नीलाल सोमानी राजस्थानी व्यंग्य कथा पुरस्कार उनकी कृति ‘मृत्यु रासौ’ के लिए दिया गया।
समारोह के मुख्य वक्ता मालचन्द तिवाड़ी ने कहा कि शंकरसिंह राजपुरोहित राजस्थानी के रचनाकार ही नहीं, अनुवाद और संपादन-कला में भी निष्णात है। वे राजस्थानी साहित्य के प्रचार-प्रसार में एक क्रान्ति का काम कर रहे हैं, जिसके लिए पूरा राजस्थान उनका ऋणी है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा ही मनुष्य के जीवन का मूलमंत्र है। मातृभाषा ही उसकी उन्नति की सबसे बड़ी बुनियाद है। विशिष्ट अतिथि ताराचन्द इंदौरिया ने सोमानी परिवार के सामाजिक सेवा कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रवास पर रहते हुए भी मातृभाषा व जन्मभूमि के प्रति उनका लगाव वरेण्य है। पुरस्कार संयोजक चेतन स्वामी ने चुन्नीलाल सोमानी राजस्थानी कथा पुरस्कार की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी।
इस अवसर पर पुरस्कृत साहित्यकार शंकरसिंह राजपुरोहित के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर साहित्यकार रमेश भोजक समीर ने पत्रवाचन किया। कवि-गीतकार लीलाधर सोनी एवं कवयित्री शर्मिला सोनी ने कविता-पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम का सरस संचालन कवि-कथाकार रवि पुरोहित ने किया। समिति के सदस्य साहित्यकार सत्यदीप ने आगंतुकों के प्रति आभार जताया।