Tuesday, February 18, 2025
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पूर्व मंत्री भाटी के धरने के ऐलान से राजस्थान की राजनीति गरमाई, सिस्‍टम अलर्ट मोड पर

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ज्‍योति मित्र आचार्य Abhayindia.com राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे भाजपा नेता देवीसिंह भाटी ने 6 फरवरी को विधानसभा के आगे धरना देने का ऐलान कर राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। खरी-खरी कहने से कभी गुरेज नहीं करने वाले भाटी ने एक बार फिर खरी-खरी सुनाकर एक नई लड़ाई के लिए अपने हथियारों की धार को तेज ही किया है। भाटी के निशाने पर इस बार राज्य सरकार का एक आदेश है जिसमें गांवों की अराजीराज जमीन को ऊर्जा निगम को देने व सरकार की व्यवस्थाओं के खिलाफ फ्रंट खोल दिया है। भाटी ने पिछले दस साल से लगातार जमे एक पुलिस अधिकारी के पदस्थापन को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर जो सवाल उठाए है उस पर भाजपा नेताओं से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। इस जंग में भाटी के हथियार वही पुराने है लेकिन फ्रंट पर इस बार राज्य सरकार के अव्यवहारिक निर्णय है।

भाटी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आदोंलन के लिए बीकानेर संभाग के गांवों के अलावा जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर व पश्चिमी राजस्थान के अनेक इलाकों से भारी संख्या में भाटी समर्थकों के पहुचने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा चुरू, सीकर व जयपुर से भी धरना स्थल के लिए गाड़िया रवाना होगी।

गौरतलब है कि राजपूतों का यह खांटी नेता अपनी साफगोई के लिए ज्यादा जाने जाते है लेकिन इस बार भाटी ने मूंगफली खरीद को लेकर किसानों की समस्याओं को लेकर जो सवाल उठाए है उसने पार्टी के कर्ताधर्ता सांसत में है। भाटी ने बिना किसी का नाम लिए सरकार के मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल भाजपा कार्यकर्ताओं सहित आम जनता के मानस पर भी गहरा प्रभाव डाल रहे है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते है मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के बाद भाटी का ये ऐलान विधानसभा में भाजपा की किरकिरी करा सकती है। गौरतलब है कि जमीन से जुड़े भाटी अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत के बाद लगातार चुनाव जीतने वाले राजस्थान के एकमात्र करिश्माई नेता है जिनका ब्राह्मणों, मुसलमानों, राजपूतों, पिछड़े वर्ग, आरक्षण से वंचित सहित अन्य वर्गों में खासा प्रभाव है। नब्बे के दशक में भाजपा की शेखावत सरकार को बचाने के लिए जनता दल दिग्विजय का भाजपा में विलय करवाने में इस दबंग नेता की अहम भूमिका थी। ये ही वो दौर था जिसमें भाटी ने सामाजिक न्याय मंच नाम से आरक्षण आंदोलन शुरू किया था।

राजस्थान के लगभग हर जिले में उस दौर की रैलियों में उमडऩे वाली भीड़ ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रेक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा । ये इस कद्दावर नेता का ही कमाल था जिसने भाजपा को पहली बार बीकानेर से भाजपा का सांसद दिया। भाटी भले ही आज अपनी सरकार के खिलाफ धरना देने को मजबूर हुए हो लेकिन जब जब भी बीकानेर संभाग में भाजपा को शक्तिपरीक्षण की जरूरत पड़ी है बीकानेर सम्भाग में भाजपा को भाटी ही याद आए है। बहरहाल, भाटी के ऐलान ने राजनीतिक हलकों में भले ही सवाल खड़े कर दिया हो लेकिन एक अरसे से भरे बैठे भाटी समर्थकों व असन्तुष्ट भाजपाइयों का उत्साह चरम पर हैं।

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