जयपुर Abhayindia.com राजस्थान में उद्योगों के सुलभ संचालन के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया जा रहा है. इसी क्रम में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस की राह में नित नए आदेश जारी कर उद्योगों को जटिल प्रक्रिया से राहत दी जा रही है।
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने बताया कि उद्योगों के संचालन सहमति के लिए आवेदन को अस्वीकार करने के मामलों में जमा किया गया संपूर्ण सहमति शुल्क जब्त कर लिया जाता था। इसके बाद आवेदक को नए आवेदन के साथ पूरी फीस फिर से जमा करनी होती थी।
उन्होंने कहा कि उक्त समस्या को विशेष ध्यान में रखते हुए अस्वीकार करने की स्थिति में सहमति शुल्क को वापस करने की व्यवस्था शुरू की गयी है। जिसके तहत उद्योग संचालन के लिए सहमति की लागू फीस का 20 प्रतिशत जब्त कर लिया जाएगा और शेष 80 प्रतिशत उद्योग के एमआईएस खाते में अग्रिम शुल्क के रूप में जमा किया जाएगा। यदि उद्योग मंडल द्वारा संचालन सहमति अस्वीकार करने के 30 दिनों के भीतर फिर से आवेदन करता है, तो आरएसपीसीबी द्वारा 80 प्रतिशत अग्रिम शुल्क को समायोजित किया जायेगा और उद्योगों को नए सहमति आवेदन के लिए केवल 20 प्रतिशत जमा करना होगा।
आपको बता दें कि 30 दिनों के बाद सहमति आवेदन जमा करने के मामले में, परियोजना प्रस्तावक आवेदन शुल्क का 100 प्रतिशत जमा करने के लिए उत्तरदायी होगा और बोर्ड द्वारा कोई समायोजन वापसी नहीं की जाएगी। संचालन की सहमति को रद्द करने के बाद में आवेदन जमा न करने की स्थिति में कोई शुल्क वापस/समायोजित नहीं किया जाएगा।
अग्रवाल ने बताया कि उद्योगों के सुलभ सञ्चालन के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने की ओर आरएसपीसीबी लगातार प्रयासरत है जिसके चलते वो दिन दूर नहीं जब राज्य ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस की राह में अग्रणी प्रदेशों में शामिल होगा।