Bikaner. Abhayindia.com बवासीर (पाइल्स) मूलव्याधि एक भयानक रोग है। यह खूनी और बादी होती हैं। खूनी बवासीर में खून आता है और मस्सा अन्दर की तरफ होता है जो बाद में बाहर आने लगता है। बादी बवासीर होने पर कब्ज, गैस बनती है। पेट खराब रहता है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना जैसी परेशानी होती है। अत्यधिक कब्ज होने पर खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है और इस वजह से घाव हो जाता है इसे फिशर भी कहते हें। जिससे असहनीय जलन और पीड़ा होती है।
फिस्टुला : बहुत पुराना होने पर इसे भगन्दर (फिस्टुला) कहते है। इसमें गुदा के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो गुदा की नली में चला जाता है और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से मल भी आने लगता है। आखिरी स्टेज होने पर इसे रिक्टम कैंसर कहते हें, जो कि जानलेवा हो सकता है।
होम्योपैथी मे बवासीर का सफल उपचार उपलब्ध हैं, इसमें रोग के लक्षणों के आधार पर बिना ऑपरेशन ही बवासीर को जड़ से ठीक किया जाता हैं। -डॉ. भाग्यश्री कुलरिया (कुलरिया होम्योपैथी क्लीनिक) बीकानेर
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