








बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। जहां पर कभी हरियाली की चद्दर सी पसरी थी, वहां अब गड्ढ़ेरूपी घाव नजर आते है। जहां कभी पेड़ों के बीच चलती सायं-सायं के बीच शाम सुकून देती थी, वहां अब प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। हम बात कर रहे हैं बीकानेर के ऐतिहासिक पब्लिक पार्क की। पार्क में दूब और फूल-पौधों को जिंदा रखने के लिए पानी का संकट है। हालांकि पब्लिक पार्क की सुन्दरता ओैर हरियाली को कायम रखने के लिये नगर विकास न्यास की ओर से हर साल लाखों रूपये खर्च किये जाते है, लेकिन पार्क अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां कर रहा है।



छुट्टियों का सीजन शुरू हो चुका है बच्चे मौज-मस्ती करना चाहते हैं, लेकिन शहर के पार्क बदहाल हैं। खासतौर से बीकानेर का पब्लिक पार्क। ऐसे में बच्चे कहां खेलने जाएं। हालत चाहे लिली पौंड के समीप स्थित पार्कों की हो या चिल्ड्रन ट्रेन पार्क की। सबकी हालत खस्ता है। यही नहीं, पार्कों में कई स्थानों पर बिजली के बॉक्स भी खुले पड़े हैं।
जागरूक नागरिकों द्वारा इसे लेकर लगातार की जा रही शिकायतों और जन सुनवाई में गुहार लगाये जाने के बाद भी पब्लिक पार्क की दशा सुधारने के नाम पर लाखों रूपये हड़प चुके ठेकेदारों और नगर विकास न्यास अधिकारियों के खिलाफ क ार्यवाही नहीं हो रही है। नगर विकास न्यास प्रशासन की अनदेखी के कारण पब्लिक पार्क के जिन एकाध पार्को में हरियाली बची हुई है वो निराश्रित पशुओं की शरणस्थली बने हुए हैं। पार्क परिसर में उद्यान बेहाल हो चुके है। फव्वारों का तो नामोनिशां मिटा हुआ है। उद्यानों की दीवारें जर्जर है। गंदा पानी भी पार्क में ओवरफ्लो होता है।
पार्क में सफाई व्यवस्था का भी अभाव है। जगह-जगह घूमने वाले निराश्रित गोवंश का गोबर बिखरा रहता है। नियमित सफाई के अभाव में कई जगहों पर पार्क में गंदगी के ढेर लगे हुए हैंं। सुरक्षा के अभाव में पब्लिक पार्क परिसर शाम गहराते ही असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है। गर्मी की छुट्टियों में अपने बच्चे-बच्चियों के सामने घूमने आने वाली महिलाएं असुरक्षित है, क्योंकि पार्क में बड़ी संख्या में समाजकंटक और नशेड़ी डेरा डाले बैठे रहते हैं।





