जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश की भाजपा सरकार का ‘द्वार’ अब ज्यादा दूर नहीं है। अब विधायक हो या फिर संगठन के पदाधिकारी ‘सरकार’ से आसानी से मिल सकते हैं। असल में, पिछले चार वर्षों में यह बात खासी प्रचलित हो गई थी कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों से मिलने-जुलने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती। उपचुनावों में मिली करारी हार के कारणों में एक कारण इसे भी माना गया था। लिहाजा ‘सरकार’ अब कुछ नरम नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो पिछले एक सप्ताह में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे लगभग नब्बे विधायकों और इतने ही पार्टी पदाधिकारियों से मिल चुकी है। यह चमत्कारिक बदलाव नौ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ही माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री वसुंधरा राज ने विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों से बातचीत में अगामी चुनाव को लेकर रणनीति पर भी चर्चा की है, साथ ही उनके क्षेत्रों के खास मुद्दों पर भी बातचीत की। उन्होंने ऐसे कामों को प्राथमिकता से कराने का मन दर्शाया है जिनसे तत्काल राजनीतिक लाभ मिल सके। मुलाकातों के इस दौर के दौरान जातिगत समीकरण साधने पर भी गुफ्तभू हुई है।
उधर, पार्टी में लंबे समय से नाराज चल रहे नेताओं को ‘राजी’ करने की कवायद भी तेज हुई है। इसकी जिम्मेदारी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी व राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश संभाल रहे हैं। इसी बीच खबर यह भी है कि संघ के शीर्ष पदाधिकारियों से भी ‘सरकार’ खुद संपर्क साध रही है। हाल में मुख्यमंत्री वसुंधर राजे ने क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास व्यास के साथ अकेले में लम्बी चर्चा की है। वैसे आधिकारिक रूप से संघ को साधने की जिम्मेदारी पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर के कंधों पर हैं।