










बीकानेर Abhayindia.com वैदिक काल से चलती आ रही यज्ञ चिकित्सा को सर्वोपरि माना गया है। सूर्य किरण चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा का अंग है। यह बात आज राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र गंगाशहर में पौष पूर्णिमा शुक्ल पक्ष के अवसर पर यज्ञ आयोजन कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारी डॉ. वत्सला गुप्ता ने कही। डॉ. गुप्ता ने कहा कि पंच तत्वों के साथ हवन एवं किरणों का समावेश शरीर की शुद्धि के लिए होता है जो माानसिक शारीरिक तथा वातावरणीय शुद्धि के लिए सर्वोपयोगी है।
राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र समिति के मंत्री बनवारी लाल शर्मा ने सभी को संबोधित करते हुए पौष पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहा कि वैदिक ज्योतिष एवं हिन्दु धर्म से जुड़ी मान्यता के मुताबिक पौष सूर्य देव का माह कहलाता है इसलिए इस दिन पवित्र नदियों तथा हवन यज्ञदान आदि से मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती है।
उन्होंने बताया कि ऋतुचर्या अनुसार खान–पान तथा तिल के तेल की मालिश, तिलों के दान तथा विशिष्ट गुणों के अनुसार उनका सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में गर्मी आती है तथा विभिन्न रोगों जैसे– चर्म रोगों तथा मूत्र संबंधि विकारों से निजात मिलती है।
वर्तमान में ऑमीक्रॉन कोरोना वेरियन्ट के समय में यज्ञ में माध्यम से वातावरणीय शुद्धि आवश्यक है इसके लिए राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र गंगाशहर में प्रत्येक पूर्णिमा पर हवन का कार्यक्रम निरन्तर चलता रहता हैं।
आज पूर्णिमा के अवसर पर चिकित्सा अधिकारी डॉ. वत्सला गुप्ता, मंत्री बनवारी लाल शर्मा एवं समस्त कर्मचारीगणों के साथ मिलकर यज्ञ में आहुतियां दी एवं सभी के लिए मंगल कामना के लिए प्रार्थना की।





