बीकानेर abhayindia.com समता विभूति, समीक्षण ध्यान योगी आचार्यश्री नानेश की 20वीं पुण्य स्मृति दिवस तथा युग निर्माता आचार्य भगवनश्री 1008 श्रीरामलालजी म. सा. के 20वें आचार्य पदारोहण दिवस के अवसर पर श्रीसाधुमार्गी जैन श्रावक संघ गंगाशहर-भीनासर के तत्वावधान में रविवार को भीनासर स्थित श्रीजैन जवाहर विद्यापीठ में विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।
इस शिविर में युवाओं ने ही नहीं, बल्कि युवतियों व महिलाओं ने भी उत्साह से रक्तदान किया। सुबह दस बजे शुरू हुआ रक्तदान का दौर दोपहर तक चला। रक्तदान से पहले रक्तदाताओं की सामान्य स्वास्थ्य जांच की गई। शिविर में 134 रक्तदाताओं ने रक्तदान किया। इस अवसर पर पीबीएम अस्पताल के स्टाफ का सहयोग रहा।
प्रसिद़ध भामाशाह सुंदरलाल कौशल दुग्गड देशनोक/गंगाशहर परिवार के सौजन्य से आयोजित इस शिविर के आयोजन को लेकर श्रीसाधुमार्गी जैन श्रावक संघ, समता युवा संघ, समता बहु मंडल, समता महिला मंडल के पदाधिकारी पूरे जोश-खरोश से जुटे हुए थे। शिविरस्थल पर दूध, फलों आदि की व्यवस्था की गई।
शिविर के दौरान संघ प्रमुख जयचन्द लाल डागा, चंपालाल डागा, कन्हैयालाल बोथरा, मेघराज बोथरा, कौशल दुग्गड़, शिखर चन्द सुराणा, मोहन सुराणा, चंचल कुमार बोथरा, डूंगरमल सेठिया, समता युवा संघ के अध्यक्ष नवरतन सुराणा, मंत्री महेन्द्र सुराणा, श्रीसाधुमार्गी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष पूनमचंद सेठिया, मंत्री मनोज डागा, अमित बोथरा, अंकित मालू, वीरेन्द्र सुराणा, लूणकरण सुराणा, कमल डागा, अशोक डागा, जेठमल सुराणा, प्रकाश पुगलिया, विमल सेठिया, महेन्द्र सोनावत, कमल सेठिया, श्रीकान्त सुराणा, रवि पुगलिया, देवेन्द्र बोथरा, जितेन्द्र बोथरा, जिनेश सुराणा इसके अलावा अनेक युवाओं का उत्साहवद्र्धन सहयोग रहा।
इस अवसर पर महिला मण्डल व बहुमण्डल की ओर से चन्द्रकला भूरा, नीलम देवी बोथरा, कंचनदेवी छलाणी, ममोल देवी सोनावत, सरला बोथरा, कुसुमदेवी सेठिया, लता देवी बोथरा, नीलू सेठिया, संगीता सुराणा, सज्जन लुणावत, बसन्ती पींचा आदि ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। कौशल दुग्गड़ ने सभी का आभार जताया।
तप से होती है रक्षा : मंजुलाश्रीजी
श्रीसाधुमार्गी संघ के आचार्य रामलालजी म.सा. की सुशिष्या मंजुलाश्रीजी म.सा. ने जैन जवाहर विदयापीठ धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति धर्म में लगा रहता है, धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। आपने आजीवन तप की महत्ता बताते हुए कहा कि जो व्यक्ति तप करता है उसका परिवार, समाज व राष्ट्र तक में सुख, शांति बनी रहती है। आज पूर्वाचार्य आचार्य श्रीउदयसागरजी म.सा. की 200वीं जन्म जयंती के प्रसंग से फरमाया कि वे महान आचार्य जो ग्रहस्थ धर्म में जाते-जाते संयम मार्ग को स्वीकार कर लिया, वे संयम के सजग प्रहरी थे। जिनका जन्म जोधपुर की पावन धरा पर हुआ। ऐसे महान आचार्य को नमन करते हैं। आपने कहा कि तप से अनेक जन्मों के संचित कर्म को हल्का करके मानव मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। तप से आत्म शांति मिलती हैं।
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