नशा भले ही शान और लत के लिए किया जाता हो, पर यह जिंदगी की बेवक्त आने वाली काली रात का भी मुख्य कारण है, जो कब जीवन में अंधेरा कर दे। नशेड़ी नशे का मजा भले ही दिनभर के कुछ सेकंड के लिए लेते हैं, लेकिन कुछ पल पूरी जिंदगी पर हावी हो जाते है। नशा एक ऐसी ज्वलंत समस्या है जिसमें समाज आज जूझ रहा है और इससे कैसे निजात पाया जाए इसका कोई उपचार ही दिखाई नहीं पड़ रहा है। नशीले पदार्थों के सेवन से पीड़ित व्यक्ति को पारिवारिक एवं सामाजिक अलगाव और लोगों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। इससे निश्चित रूप से उन्हें मानसिक और शारीरिक कष्ट एवं आघात पहुंचता है। वे आवश्यक मदद से भी वंचित रह जाते हैं। इससे उनका और उनके परिवार का जीवन दयनीय और कठिन बन जाता है। देश को नशे की समस्या से मुक्त कराने के लिए एक सामूहिक प्रयास और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
नशा करे तन-मन बुरा, जीवन को बर्बाद। छोड़े इसे जो चेतकर, सुख पाए आबाद। सुरती, मदिरा, गांजा छोड़, स्वस्थ बने इंसान। संयम से जो जी सके, सदा रहे सम्मान। पिछले दिनों मेरे पास कई लोगों के विजिट के लिए मैसेज आए। कई घरों का मैंने वास्तु के लिहाज से मुआयना किया। उनसे जो निष्कर्ष निकले वो आपकी जानकारी के लिए यहां दे रहा हूँ।
केस स्टडी-1 मैंने श्याम सिंह के (परिवर्तित नाम) विज़िट के दौरान पाया कि जो घर पश्चिम मुखी है तथा साथ ही उसका एक गेट पूर्व की ओर खुलता हो तथा आग्नेय कोण के स्थान पर शौचालय तथा स्नानघर बना हुआ हो, नैऋत्य कोण में जलकुंड हो ऐसी स्थिति में वहाँ रहने वाले बच्चे नशा करने लगते हैं और वहाँ अशांति तो एक आम समस्या बनी ही रहती है।
केस स्टडी-2 रामलाल (परिवर्तित नाम) के घर की विज़िट के दौरान मैंने पाया कि उसका घर उत्तर मुखी था तथा उस घर में भारी निर्माण, वायव्य और ईशान कोण की तरफ़ ही हो रखा था तथा नैऋत्य कोण में भारी भूल भारी भरकम कबाड़ रखा हुआ था ऐसी स्थिति में भी वहाँ रहने वाला नशे की आदत से बुरी तरह ग्रस्त था।
केस स्टडी-3 मैंने एक घर विनोद कुमार (परिवर्तित नाम) का देखा जो उत्तर मुखी था। वहाँ का जल कुंड तथा रसोईघर उचित स्थान पर नहीं था। साथ ही आग्नेय कोण में एक अंडर ग्राउंड भी था ऐसी स्थिति में मैंने पाया कि उस घर में दो पीढ़ी के लोग यानी कि चाचा भतीजा दोनों ही नशे की आदत से ग्रस्त है।
केस स्टडी-4 मैंने एक घर महेश (परिवर्तित नाम) का देखा जो पश्चिम मुखी था| उसमें नैऋत्य कोण तथा आग्नेय कोण दोनों स्थान पर अंडर ग्राउंड थे। साथ ही जलकुंड भी वास्तु सम्मत स्थान पर नहीं था। इसके साथ ही उस मकान में बीच के भाग में सबसे ज़्यादा निर्माण करवाया गया था और ऐसी स्थिति मैंने पाया कि वह मकान मालिक नशे की लत से ग्रसित था।
केस स्टडी-5 मैंने एक घर जगत (परिवर्तित नाम )का देखा जो पश्चिम मुखी था तथा नैऋत्य कोण में उसने शौचालय बना रखा था। साथ ही ईशान कोण में उसने एक कमरा बना रखा था और उस कमरे में उसने कबाड़ का सामान भर रखा था उस मकान का मालिक नशे की आदत से भयंकर रूप से ग्रस्त है।
कुछ सामान्य वास्तु दोषों का समाधान करके भी नशे की लत से छुटकारा पाया जा सकता है। सबसे पहले घर के ईशान कोण को हल्का, खुला, नीचा और साफ रखने का प्रयत्न करें। इस दिशा में जल का कलश व मंदिर जरूर होना चाहिए।
नैऋत्य कोण को भारी व ऊंचा कर दें, इस दिशा में अगर कोई खिड़की या दरवाज़ा हो, तो यथासंभव उसे बंद रखें।
दरवाजे में देहरी लगवा लें और हो सके, तो कमरे के फ़र्श का ढलान भी उत्तर या पूर्व दिशा में करवा लें।
ध्यान रखें नशे में लिप्त घर के सदस्य को घर के अग्निकोण या वायव्य दिशा वाले कमरे में न सुलाएं, इससे इस तरह की समस्याएं ज़्यादा बढ़ सकती हैं। नैऋत्य कोण का संबंध भवन में रहने वाले लोगों की लंबी आयु, धन-संपत्ति, कुल वृद्धि, व्यक्तिगत मूल्यों व चारित्रिक स्थिरता से होता है।
अगर किसी भवन में ईशान कोण के साथ नैऋत्य कोण भी दूषित हों अर्थात ईशान कोण कटा हुआ, ऊंचा, भारी, बंद या अपवित्र होने के साथ नैऋत्य कोण नीचा, हल्का, ज़्यादा खुला या बढ़ा हुआ हो, तो ऐसे घर में रहने से धन, सम्पति, स्वास्थ्य व आयु की हानि होती है व चारित्रिक पतन हो जाता है।
ऐसे घर में रहने वाले परिवार के किसी सदस्य को किसी प्रकार के नशे जैसे -सिगरेट, शराब, तम्बाकू आदि के सेवन करने की लत पकड़ लेती है। यदि बच्चे बिगड़ गए हैं और माता-पिता और स्वयं बच्चे अपने आप को सुधारना चाहते हैं तो ऐसे बच्चों को घर के पूर्वी हिस्से का कमरा दिया जाना चाहिए अथवा घर के ईशान कोण के कमरे में भी ऐसे बच्चे सहजता से रह सकते है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431
आपका बच्चा रहता है बीमार, कहीं वास्तु दोष तो नहीं जिम्मेदार!