अभय इंडिया abhayindia.com हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा ही शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत आज यानी 12 अक्टूबर को रात 12.36 बजे से होगी। पूर्णिमा तिथि का समापन 13 अक्टूबर की रात 02.37 बजे पर होगा। पूर्णिमा की पूजा, व्रत और स्नान रविवार यानी 13 अक्टूबर को ही होगा। शरद इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व 13 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी रात के समय भ्रमण करती है और यह देखती है कि कौन जग रहा है और कौन सो रहा है। उनके अनुसार ही माता लक्ष्मी उनके घर पर ठहरतीं हैं, इसलिए इस दिन सभी लोग रात को देेर तक जागतेे हैंं। लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से उन पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है और उनके घर में कभी भी लक्ष्मी की कमी नहीं होती।
ज्योतिषों का मानना है कि, कई वर्षों में पहली बार ऐसा हो रहा है जब शरद पूर्णिमा और रविवार का संयोग बना है। इस दिन पूरा चंद्रमा दिखाई देने के कारण इसे महापूर्णिमा भी कहते हैं। पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दी धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झरता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है।
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