








जयपुर Abhayindia.com प्रदेश के मेडिकल कॉलेज एवं इनसे संबद्ध अस्पतालों का अब नियमित निरीक्षण होगा। निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों का निर्धारित अवधि में निस्तारण नहीं होने पर संबंधित अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, साफ-सफाई, मरम्मत, जांच, दवा एवं उपचार की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करते हुए अस्पतालों को पेशेंट फ्रेण्डली बनाया जाएगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों एवं इनसे संबद्ध अस्पतालों का निरीक्षण कर लौटी टीमों से सोमवार को सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के सभागार में चर्चा करते हुए इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य का विषय बेहद संवेदनशील है, इसमें किसी भी स्तर पर कोताही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। सभी अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार से संबंधित अस्पतालों का नियमित निरीक्षण करें और निरीक्षण में पाई गई कमियों में तत्काल सुधार भी करें।
खींवसर ने कहा कि चिकित्सा अधिकारी अस्पताल को अपना घर और रोगियों को परिवार का सदस्य मानते हुए मानवीय भाव के साथ सेवाएं दें। जिस प्रकार घर का रख-रखाव करते हैं और परिवार के सदस्यों की देखभाल करते हैं, उसी तरह अस्पताल एवं रोगियों की सेवा करें। रोगी को नया जीवन देने से बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं।
उन्होंने कहा कि विगत दिनों किए गए निरीक्षण में जो कमियां सामने आई हैं या जिन संसाधनों की आवश्यकता महसूस की गई है, उनकी विस्तृत रिपोर्ट के साथ शीघ्र चर्चा करें ताकि इन कमियों जल्द दूर किया जा सके। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से किए गए इस निरीक्षण अभियान की सराहना की और ऐसे अभियान निरंतर चलाए जाने की आवश्यकता व्यक्त की।
33 टीमों ने किया निरीक्षण, रिपोर्ट तैयार
चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एवं चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर की पहल पर मेडिकल कॉलेजों एवं इनसे संबद्ध अस्पतालों में शुक्रवार को 33 टीमों में करीब 150 अधिकारियों ने सघन निरीक्षण किया था। निरीक्षणों के तहत अस्पतालों में साफ-सफाई, बिजली उपकरणों की स्थिति और भवनों का गहन निरीक्षण किया गया। निरीक्षण की रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। इसके आधार पर मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में शीघ्र सुधार करवाए जाएंगे।
बुनियादी ढांचे को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में पहल
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान ने बताया कि सभी चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में स्वच्छता और बुनियादी ढांचे के मानकों को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में यह पहल की गई है। निरीक्षण में अस्पताल परिसरों में स्वच्छता की समुचित व्यवस्था, भवनों की आवश्यक मरम्मत, चिकित्सा संसाधनों की उपलब्धता, रोगियों की सुविधा, सुरक्षा प्रबंध तथा सेवाओं की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया गया है। साथ ही, बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निस्तारण, बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी आदि की उपलब्धता और अग्निशमन उपकरणों की क्रियाशीलता भी जांची गई है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग का महत्वपूर्ण अंतरविभागीय नवाचार
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हाल ही में सार्वजनिक निर्माण विभाग से एक एमओयू कर विभाग से संबंधित चिकित्सालयों के अनुरक्षण, मरम्मत के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग को अधिकृत किया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा प्रत्येक चिकित्सालय में मरम्मत चौकी स्थापित की जा रही है, जहां पर आकस्मिक मरम्मत कार्यों के लिए 24 घंटे विभिन्न कार्यों से संबंधित कार्मिक उपलब्ध रहेंगे। वहीं, शौचालयों की देखभाल का जिम्मा सुलभ इन्टरनेशनल को दिया गया है ताकि शौचालयों को साफ सुथरा रखा जा सके। इसी प्रकार चिकित्सालयों की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु सुरक्षा जिम्मा सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्यूरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) को देने का कार्य भी किया जा रहा है।
मरम्मत कार्यों के लिए 44 करोड़ की स्वीकृति
अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल ने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग ने मरम्मत कार्यों के लिए करीब 84 करोड़ रूपए की आवश्यकता बताई थी, जिसके विरूद्ध अस्पतालों द्वारा करीब 44 करोड़ रूपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है। प्रदेश के 81 अस्पतालों में से 29 अस्पतालों में पीडब्ल्यूडी चौकी की स्थापना के लिए जगह आवंटित कर दी गई है। मेंटीनेंस कार्यों के लिए निविदा प्रक्रियाधीन है।





