








जोधपुर (अभय इंडिया न्यूज)। गेहूं के गबन की आरोपी निलम्बित आईएएस निर्मला मीणा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के सवालों का जवाब देने के बजाय रोने लग गई। खुद के बीमार होने की दुहाई देते हुए वो एसीबी के सवालों से लगातार बचने का प्रयास कर रही हैं। वो दो दिन के रिमांड पर है।
गत दो महीने तक फरार रहने के बाद निर्मला ने तीन दिन पहले सरेंडर कर दिया था। तत्कालीन जिला रसद अधिकारी निर्मला से एसीबी के एसपी अजयपाल लाम्बा व जांच अधिकारी ने मुकेश सोनी ने दिनभर विशेष विंग में पूछताछ की। निर्मला बीमार होने का बहाना बना सवालों को टालती रही। उसने घबराहट होने और सिर दर्द के कारण दोपहर में खाना भी नहीं खाया। सवालों के जवाब न मिलने पर एसीबी ने सख्ती करने का प्रयास किया तो वो रोने भी लगी। सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद सरेंडर करने वाली निर्मला ने बुधवार को भी खुद के बीमार होने का बहाना बनाया था।
उल्लेखनीय है कि मार्च 2016 में गेहूं के गबन की पुष्टि होने पर एसीबी ने गत वर्ष एफआईआर दर्ज की गई थी। गबन के इस बहुचर्चित मामले में अब तक आटा मिल संचालक स्वरूप सिंह व निर्मला की गिरफ्तारी हो की है, जबकि ठेकेदार सुरेश उपाध्याय व तत्कालीन लिपिक अशोक पालीवाल अभी तक फरार हैं।
एसीबी के मुताबिक बतौर जिला रसद अधिकारी निर्मला ने मार्च 2016 में बीपीएल परिवार बढऩे का हवाला देकर ३३ हजार क्विंटल गेहूं के अतिरिक्त आवंटन की मांग की थी। जयपुर स्थित खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में लिपिक शिवप्रकाश शर्मा ने नोटशीट पर गेहूं का आवंटन किया था। उसकी भूमिका सामने आने पर एसीबी ने गुरुवार को शिवप्रकाश को तलब कर दिनभर पूछताछ की। जोधपुर शहर के राशन डीलर एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल गहलोत से भी पूछताछ की गई। गबन के दौरान अनिल के पास राशन की बीस दुकानें थी। उसे गेहूं का अतिरिक्त आवंटन किया गया था। दोनों से शुक्रवार को भी पूछताछ की जा रही है।
बता दें कि निलंबित आईएएस निर्मला एसीबी के समक्ष सरेंडर करने के लिए चुन्नी से चेहरा ढंककर आई थी। जब गुरुवार को जांच अधिकारी सोनी ने कोर्ट में पेश किया तो उसके हाव-भाव बदले हुए थे। सिर नीचा किए मुस्कराहट के साथ वो कोर्ट में पेश हुई। एसीबी ने सात दिन का रिमांड मांगा। हालांकि मजिस्ट्रेट ने उसे दो दिन के रिमाण्ड पर भेजने के आदेश दिए।





