अभय इंडिया डेस्क. कश्मीर घाटी के 20 साल के फुटबॉलर माजिद इरशाद, जो कुछ ही दिनों पहले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था, उसने शुक्रवार को सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया। माजिद के इस फैसले की सेना ने तारीफ की है। सेना ने कहा कि ये एक बहादुरी वाला फैसला है, हम माजिद के इस फैसले की सराहना करते हैं और यकीन दिलाते हैं कि वो दोबारा अपनी आम जिंदगी में वापस जाएगा।
लेकिन एक स्पोर्ट्स मैन से आतंकी कैसे बन गया माजिद, जानें पूरी कहानी : माजिद सादिकाबाद का रहने वाला है और अनंतनाग के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज से इसने पढ़ाई की है। माजिद आपने माता-पिता की इकलौती संतान है। फुटबॉल के प्रति जुनून और डेविड बेकहम जैसी हेयरस्टाइल के की वजह से माजिद ‘सादिकाबाद का बेकहमÓ कहलाता था। कश्मीर के किसी अंतरजिला फुटबॉल मैच में अनंतनाग को पहली जीत दिलाने का श्रेय माजिद को दिया जाता है। इतना ही नहीं खेल के बाद जो वक्त बचता था मजिद उसमें चैरिटी संस्था के लिए भी काम करता था, बल्ड डोनेट करता था।
मजिद का नाक-नक्सा पूर्व पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर शॉन पोलॉक से मिलता था इसलिए उसके दोस्त उसे ‘ ‘पोलॉकÓ कहकर पुकारते थे। माजिद महंगी बाइक और ब्रांडेड कपड़ों-चश्मों का शौकीन था। लेकिन एक दोस्त की मौत के बाद माजिद आतंकी संगठन लशकर-ए-तैयबा में शामिल हो गया। 8 जुलाई 2016 में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी माजिद प्रमुखता से शामिल हुआ था। उसके बाद दस दिन जम्मू-कश्मीर पुलिस की हिरासत में रहा।
पुलिस मुठभेड़ में मारे गए आतंकी यावर निसार की मौत के बाद माजिद ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने का फैसला किया। यावर, माजिद के बचपन का दोस्त था यावर, दोनों साथ में पढ़ते और फुटबॉल खेलते थे। यावर के अंतिम संस्कार होने तक माजिद उसी के घर पर रहा।
नौकरी के लिए दुबई जाना था
माजिद के फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि वह डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलर जॉन सीना और पाक क्रिकेटर शाहिद अफरीदी का प्रशंसक था। माजिद ने 2015 में संसद हमले के दोषी अफजाल गुरु की फांसी के बाद फेसबुक उसका समर्थन किया था। अफजल गुरु के साथ अपनी फोटो भी लगाई थी। एक एनजीओ की मदद से माजिद की दुबई में नौकरी लग गई थी उसका पासपोर्ट भी बन गया था। फिर एक दिन 9 नवंबर को वो अचानक गायब हो गया। बाद में पता चला की माजिद आतंकी संगठन में शामिल हो गया है। लश्कर में शामिल होने के बाद माजिद ने एक दिन अपने फेसबुक पेज पर लिखा था ‘जिहाद मेरा मिशन है और शहादत मेरा सपना…। तुम्हें कभी भी नहीं भुला पाऊंगा अबु तालहा (यावर निसार)।Ó
माता-पिता ने घर लौटने की फरियाद की थी
माजिद के लश्कर में शामिल होने की खबर सामने आने पर उसकी मां आयशा ने एक वीडियो संदेश के जरिये बेटे से घर लौटने की भावुक अपील की थी। आयशा ने कहा था, ‘उसके बारे में जो भी लिखा या दिखाया जा रहा है, अगर वह उसे पढ़-देख रहा है तो मैं उससे सिर्फ यही बोलना चाहूंगी कि घर लौट आओ बेटा। अपनी अम्मी के पास लौट आओ।Ó माजिद के पिता इरशाद खान ने कहा था कि उनका बेटा पढ़ाई में बहुत होनहार था। फुटबॉल टूर्नामेंट में उसने कई पुरस्कार भी जीते थे। वह उसे अपने पैरों पर खड़ा होते और एक शांतिपूर्ण और इज्जतभरी जिंदगी जीते देखना चाहते हैं।
एक स्पोर्ट्समैन से कैसे आतंकवादी बन गया माजिद खान
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