Saturday, May 18, 2024
Hometrendingबीकानेर में शुष्‍क क्षेत्रों में कैसे ले सकते हैं फलदार फसलें, वैज्ञानिकों...

बीकानेर में शुष्‍क क्षेत्रों में कैसे ले सकते हैं फलदार फसलें, वैज्ञानिकों ने बताया…

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर की संस्थान तकनीकी प्रबंधन समिति की आज हुई बैठक में बागवानी से संबंधित विभिन्न उद्यमी एवं कृषकों ने भाग लिया। इस अवसर पर संस्थान के नवनियुक्त कार्यकारी निदेशक डॉ. डी. के. समादिया ने संस्थान के द्वारा विकसित विभिन्न बागवानी तकनीकियों का उद्यमियों द्वारा लाइसेंसिंग एवं व्यवसायीकरण करने के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।

डॉ. समादिया ने कहा कि शुष्क क्षेत्रों में स्थानीय फसलें जिनमें पानी की आवश्‍यकता कम होती है, तथा जो कम तथा उच्‍च तापमान को सहने की क्षमता रखती है, जैसे कि कैर, खेजड़ी, लसोड़ा, बेर, कुमट, पीलू, बेल आदि को जलसंग्रहण की सुविधा स्थापित कर लगाने से शुष्क जलवायु का कायापलट किया जा सकता है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डी. के. सरोलिया ने शुष्क क्षेत्रों में उपयुक्त फलदार फसलों एवं उनकी उन्नत प्रजातियों के विषय में तकनीकी जानकारी दी। सब्जी विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी. आर. चौधरी ने कद्दुवर्गीय सब्जियों की व्यावसायिक खेती एवं उनके बीज उत्पादन की विस्तार से तकनीकी जानकारी उपलब्‍ध करवायी। वैज्ञानिक डॉ. ए. के. वर्मा ने शुष्क क्षेत्रों में उगायी जाने वाली अन्‍य विभिन्न सब्जी फसलें एवं उनकी उन्नत प्रजातियों के विषय में विस्‍तार से समझाया।

क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, वेजलपुर, गुजरात के प्रभारी अध्यक्ष, डॉ. अरविन्द कुमार सिंह ने अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगायी जाने वाली बागवानी की जानकारी देते हुए केन्द्र द्वारा विकसित की गयी विभिन्न उन्नत प्रजातियों के बारे में जानकारी दी। बैठक के दौरान संस्थान के प्रौद्योगिकी इकाई के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धुरेन्द्र सिंह ने तकनीकी लाईसेंसिंग एवं बागवानी की तकनीकी परामर्श सेवाओं के संबंध में किए जाने वाले एमओयू के विभिन्न व्यावहारिक तथा वित्तीय पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिकों ने उद्यमियों का आह्वान किया की वह बागवानी के क्षेत्र में स्टार्ट अप योजनाओं का लाभ उठायें। कार्यक्रम आयोजन में सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी पी.पी. पारीक, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी भोजराज खत्री एवं अनुसंधान सहायक डॉ. जितेन्द्र सिंह शेखावत का तकनीकी सहयोग रहा।

बैठक में जल ग्रहण विकास परियोजना के अधीक्षक अभियंता भूपसिंह, सहायक अभियंता, महावीर विश्‍नोई, अभियंता सानिया संमेजा, मनोज ज्याणी, डॉ. पप्‍पू सिंह, जयपुर के माइंडरूट फाउण्डेशन के संचालक डॉ. दारासिंह पूनियां एवं राकेश पूनियां, बी.एस. लिग्नाइट पावर प्लांट के अध्यक्ष एन. वी. श्रीनिवास, विनय कुमार आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुंबई से ऑनलाईन रूप में जुड़े प्रवासी राजस्‍थान उद्यमी लक्ष्‍मी नारायण सोमानी ने शुष्‍क बागवानी की तकनीकियों में अभिरूचि व्‍यक्‍त करते हुए इसे अपने खेत में लगाने के लिए कहा। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस. आर. मीना ने सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular