







बीकानेर abhayindia.com ‘नवरंगी लाल बिहारी हो, तेरे दै बाप, दै मेहतारी हो…सखियां अब बाल गोपल कृष्ण को चिढ़ाने लगी है।
वैष्णव पुष्टिमार्गी मंदिरों में ठाकुरजी को इन दिनों गारी(गाली) पद ठाकुरजी को सुनाए जा रहे हैं। श्रद्धालुओं के भाव है कि ब्रज में सखियां जो है वो भगवान कृष्ण को होली के मौके पर गारियां देकर चिढ़ा रही है। तो प्याला भर गुलाल से होली भी खेला रही है।
‘ऐसो चटक रंग डार्यो, श्याम मौरी चुनर पर पड़ गयो दाग रे…रसिया को नार बनाओ रे रसिया को…सरीखे पदों से ठाकुरजी को रिझाने लगी है। मौका है होली का। बरसाना, मथुरा, गोकुल की होली विश्वविख्यात है, लेकिन बीकानेरी होली की भी अपनी एक अलग पहचान है।
फागोत्सव की मची है धूम…
शहर में इन दिनों मंदिरों से लेकर घरों तक में फागोत्सव की धूम मची है। खास बात यह है कि इसमें महिलाएं बढ़चढ़कर भागीदारी निभा रही है। बीते कुछ समय से होली के अवसर पर घरों और मंदिरों में फागोत्सव मनाने का चलन बढ़ गया है। इसमें महिलाएं आस्था के साथ ठाकुरजी (भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप) को गुलाल व पुष्पों की होली खेलाते हैं, होली की धमार गीतों से ठाकुरजी को रिझाती है। मंदिरों में बड़े-उत्सव होते हैं।
वैष्णव मंदिरों में खास…
बीकानेर शहर में भी पुष्टिमार्गी वैष्णव मंदिर है। जिनमें इन दिनों परम्परागत रूप से होली उत्सव मनाया जा रहा है। कीर्तनकार एवं हवेली संगीत गायक नारायण दास रंगा के अनुसार होलाष्टक के बाद से ही ठाकुरजी को रसिया, गारी व धमार गीत सुनाए जाते हैं।



