Sunday, December 22, 2024
Hometrendingहरीश भादानी सामूहिक संवेदनाओं के कवि थे : मालचंद तिवाड़ी

हरीश भादानी सामूहिक संवेदनाओं के कवि थे : मालचंद तिवाड़ी

Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com अजित फाउण्डेशन की ओर से आयोजित ‘‘हरीश भादानी: स्मृतियों के वातायन से’’ कार्यक्रम के तहत आज हिन्दी एवं राजस्थानी के मूर्धन्य साहित्यकार मालचन्द तिवाड़ी का ‘‘हरीश भादानी: स्मृतियों के वातायन से’’ विषय व्याख्यान आयोजित हुआ।

तिवाड़ी ने कहा कि हरीशजी की मेरी पहली मुलाकात श्रीडूंगरगढ़ में हिन्दी प्रचार समीति के आयोजन में हुई। वहां आयोजित होने वाले कवि सम्मेलनों में हरीश भादानी की प्रमुखता रहती और वहीं उनसे व्यंग्यात्मक कविताओं को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे पहले प्रेरणादायी कवि हरीश भादानी ही रहे। हरीश भादानी के साथ जनकवि को जोड़ना मुझे ऐसा लगता है कि उनके काव्य संसार को संकुचित करना है। उनका काव्य संसार बहुत ही प्रगाढ रहा है।

मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि हरीश भादानी की कविताओं में दार्शनिक, जिज्ञासाएं एवं आध्यात्मिकता की झलक हमें देखने को मिलती है। भादानी ने वयस्‍क आयु में वेदों की तरफ प्रस्थान करते हुए वैदिक रूप पर भी कई रचनाएं की जो बौद्धिक समाज के लिए नई कविताओं को लेकर आई। साथ ही इन कविताओं में कहीं न कहीं हमें उनके पूर्वागृह भी देखने को मिलते है।

हरीश भादानी के काव्य संसार पर जब हम नजर डालते है तो हम देखते है कि उन्हें गीत बहुत पसन्द थे। क्योंकि भादानीजी का मानना था कि गीत सर्वाधिक सम्प्रेषणिय होते है। भादानीजी ने हिन्दी व्याकरण की परवाह न करते हुए उससे मुक्त होकर भी नवीन रचनाएं गढ़ी। जब हम उनकी कविताओं को पढ़ते है तो पाते है कि उनकी कविताओं में भाषा का एक अलग ही स्वरूप है।

तिवाड़ी ने कहा कि हरीश भादानी जितने व्यंजन के शौकिन थे उतने ही व्यंजना के। भादानीजी की सहजता पर बात करते हुए मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि वह बड़े सरल थे नवसाहित्यकारों को उन्होंने हमेशा प्रोत्साहित किया तथा उनकी नवकृतियों की भूमिका लिख कर उनका हमेशा उत्साहवर्द्धन किया। मालचंद तिवाड़ी ने हरीश भादानी द्वारा संपादित वातायन पत्रिका को हिन्दी साहित्यक के श्रेष्ठ पत्रिका की संज्ञा दी। उन्होंने बताया कि इस पत्रिका में देश के श्रेष्ठ साहित्यकारों की रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है।

मालचंद तिवाड़ी ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि हमें हरीश भादानी की स्मृतियों को ताजा रखने के लिए उनके नाम से कोई स्मारक या ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे आने वाली पीढी उनको हमेशा याद रखे। कार्यक्रम में रंगकर्मी अविनाश व्यास ने कहा कि हरीश भादानी की कविताओं और उनके पूरे रचनाकर्म में कहीं कहीं उनकी वैचारिकी का प्रभाव उनकी रचनात्मकता में आता हुआ दिखाई देता है। लेकिन अधिकांश रचनाएं संवेदनात्मक अनुभूति का अन्वेषण करती प्रतीत होती है।

कार्यक्रम समन्वयक संजय श्रीमाली ने कार्यक्रम के आरम्भ में स्वागत करते हुए इस ‘‘हरीश भादानी: स्मृतियों के वातायन से’’ सप्ताहिक कार्यक्रम के बारे में बताया। कार्यक्रम में अविनाश व्यास, शांति प्रसाद बिस्सा, जुगल पुरोहित एवं योगेन्द्र द्वारा रखी गई जिज्ञासाओं का मालचंद तिवाड़ी ने जवाब देकर समाधान किया। कार्यक्रम में कमल रंगा, राजेन्द्र जोशी, दीपचंद सांखला, डॉ. अजय जोशी, जाकिर अदीब, सन्नू हर्ष, सरल विशारद, हनीफ उस्ता, कासीम बीकानेरी, इन्द्रा व्यास, हर्षित, मनन, गणेश सुथार, कविता व्यास सहित वरिष्ठ एवं युवा साहित्यकार उपस्थित रहे।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular