








बीकानेर Abhayindia.com ‘‘राजनीति क्यों नहीं होती टी-शर्ट की तरह…/ हमजाद है पासवर्ड जिन्दगी का, बनाता कोई और है, बदलता कोई और है, जिंदगी हैकर्स की चीज बनकर रह जाती है../ अड़तालीस की उम्र अस्सी प्रतिशत है जिंदगी का, आखिरी आधे घंटे की फिल्म जैसे, चांद के साथ रात के आसमान में डट जाती हैं कुछ चिंताएं, गीतों की जगह याद आती हैं मजबूरियां/’’..जैसी गहरी संवेदनाओं को कवि विनोद विट्ठल ने अपनी विशिष्ट शैली में अभिव्यक्त कर प्रबुद्ध श्रोताओं को अपनी कविताओं की एक-एक पंक्ति से मंत्रमुग्ध कर दिया। अवसर था- चिंतन व सृजन को समर्पित प्रज्ञा परिवृत्त और बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के सह-आयोजन में कवि विनोद विट्ठल के एकल काव्यपाठ का।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि कवि विनोद विट्ठल का माल्यार्पण, शॉल ओढ़ाकर और स्मृतिचिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया। एकल काव्य पाठ में विट्ठल ने तरीके, जवाब, लेटर बॉक्स, टी-शर्ट, डायबिटीज, जैसी अपनी समकालीन और आधुनिक कविताओं के साथ वे पांच थी और जीवन थे दस, पांव वो जो वे जीन चाहती थीं और पांच वे जो वे जी रही थीं.. मैंने भाषा के सबसे सुन्दर शब्द बचाकर रखे थे, तुम्हारे लिए… जैसी उक्तियों ने का भावसिक्त पाठ करके सदन की ओर से दिली-प्रशंसा प्राप्त की।
आयोजन केे अध्यक्षीय उद्बोधन में कवि-संपादक डॉ. ब्रजरतन जोशी ने कहा कि साहित्यजगत में विट्ठल समकालीन आधुनिक काव्य परंपरा के श्रेष्ठ कवि के रूप में समकालीन कवियों के लिए प्रेरणादायक हैं। समिति की मानद सचिव सुशीला ओझा ने आगंतुकों का स्वागत किया। अंत में प्रज्ञा परिवृत्त के सचिव एडवोकेट गिरिराज मोहता ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।





