







बीकानेर abhayindia.com डेयरी फार्मिंग के लिए वरदान-साईलेज विषय पर वेटरनरी विश्वविद्यालय में बुधवार को ई-पशुपालक चौपाल आयोजित की गई।
वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूडिय़ा ने कहा कि पशुओं को सालभर हरा और पौष्टिक चारा कम लागत और कम मेहनत में उपलब्ध करवाने के लिए साइलेज अत्यंत उपयोगी है। इससे दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
पशुपालकों के लिए लाभकारी और एक सरल विधि है। खन्ना (पंजाब) के एक्सीलैन्ट एन्टरप्राइजेज प्रा. लिमिटेड के विशेषज्ञ डॉ. हरिन्द्र सिंह ने साइलेज को बनाने और उसकी उपयोगिता के बारे में पशुपालकों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि साइलेज एक हरे चारे का अचार है जिसको लम्बे समय तक संरक्षण करने से चारे की पौष्टिकता और गुणवत्ता बनी रहती है।
मक्का, ज्वार और बाजरे जैसी दानेदार प्रमुख फसलों के चारे का साईलेज बनाया जाता है। दूधिया अवस्था में मक्की का भुट्टा जमीन में खड्ढा खोदकर दबाने अथवा साइलेज बैग में रखकर उसे हवा पानी से दूर रहकर तैयार किया जा सकता है।
पशु की दुग्ध क्षमता और भार वहन क्षमता के अनुसार साईलेज चारा खिलाया जाना चाहिए। तीन माह से छोटे पशुओं को साइलेज नहीं देना चाहिए। डॉ. हरेन्द्र सिंह ने बताया कि गत 5-7 वर्षों में इसका प्रचलन बढ़ा है और पंजाब प्रांत से इसका विपणन अन्य प्रांतों के लिए भी किया जाने लगा है।



